उदयनिधि स्टालिन के बयान पर भाजपा ने बोला हमला, परजीवी राजवंश बताते हुए की कड़ी आलोचना

तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने कहा है कि गोपालपुरम परिवार (करुणानिधि परिवार) का एकमात्र संकल्प राज्य के सकल घरेलू उत्पाद से अधिक संपत्ति अर्जित करना है।

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तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन के ‘सनातन धर्म के उन्मूलन’ वाले बयान की चौतरफा आलोचना हो रही है। राज्य में उनकी सहयोगी कांग्रेस ने उनके बयान से किनारा कर लिया है। भाजपा और विहिप उनके बयान को लेकर उनपर हमलावर हैं। इसी बीच डीएमके और खुद उदयनिधि की ओर से मामले पर सफाई दी गई है।

मंत्री उदयनिधि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे हैं। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था कि सनातन धर्म मलेरिया-डेंगू की तरह है और इसका उन्मूलन कर देना चाहिए।

राजवंश को बताया परजीवी
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चन्द्रशेकर ने उनके बयान की निंदा करते हुए कहा कि ये राजवंश (करुणानिधि परिवार) वास्तव में परजीवी हैं, जिन्होंने दशकों तक लोगों की कमजोरियों का शिकार किया और हमारे राष्ट्र और लोगों की संपत्ति को चूस लिया। अपने भ्रष्टाचार और परजीवी व्यवहार की आड़ में वे ‘द्रविड़ भूमि की रक्षा’ जैसे आख्यान बनाते हैं और हिंदू आस्था का दुरुपयोग करते हैं। एकमात्र चीज़ जिसकी वे रक्षा करते हैं, वह है उनका अपना धन और राजनीति। उन्होंने कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि क्या पार्टी उनके बयान का समर्थन करती है।

तमिलनाडु अध्यात्म की भूमि
तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने कहा है कि गोपालपुरम परिवार (करुणानिधि परिवार) का एकमात्र संकल्प राज्य के सकल घरेलू उत्पाद से अधिक संपत्ति अर्जित करना है। उदय स्टालिन उनके पिता और उनके विचारक के पास ईसाई मिशनरियों से खरीदा हुआ विचार है और उन मिशनरियों का विचार उनके जैसे मूर्खों के माध्यम से दुर्भावनापूर्ण विचारधारा को बढ़ावा देना था। तमिलनाडु अध्यात्म की भूमि है। सबसे अच्छा काम जो वे कर सकते हैं वह है इस तरह के कार्यक्रम में माइक पकड़ना और अपनी निराशा व्यक्त करना।

कांग्रेस ने किया किनारा
उदयनिधि स्टालिन के बयान पर महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि कांग्रेस का मत स्पष्ट है कि हम किसी भी धर्म पर टिप्पणी नहीं करना चाहते या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान में सर्वधर्म समभाव की भूमिका दी है। हम वही भूमिका लेकर चलते हैं। किसने क्या कहा, वो हमारे हाथ में नहीं है।

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