Indian Navy सागरी सुरक्षा का पुनर्मूल्यांकन, अचानक मंथन का क्या है कारण?

दिल्ली में होनेवाले तीन दिवसीय सम्मेलन के मौके पर भारतीय नौसेना द्वारा स्वदेशीकरण, नवाचारों और तकनीकी पहलों के प्रदर्शन की भी योजना बनाई गई है।

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भारतीय नौसेना के शीर्ष कमांडर देश की सागरी सुरक्षा का पुनर्मूल्यांकन करेंगे। इस संदर्भ में दिल्ली में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया है, जिसमें रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ समेत नौसेना प्रमुख और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सम्मिलित होंगे। इस संदर्भ में जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार हिंद महासागर में चीन की घुसपैठ पर विशेष रूप से लक्ष्य केंद्रित किया जाएगा।

भारतीय नौसेना (Indian Navy) का सम्मेलन (Conclave) तीन दिनों तक चलेगा। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (NSA Ajit Doval), थल सेना प्रमुख (Army Chief), वायु सेना प्रमुख (Air force Chief) और नौसेना प्रमुख (Navy Chief) से परिचर्चा होगी। इसके द्वारा तीनों सेनाओं की तैयारियों और सुरक्षा का मूल्यांकन किया जाएगा। यह सम्मेलन 4 तारीख से 6 तारीख के बीच हाइब्रिड रूप में होगी।

सुरक्षा पर चर्चा
नौसेना की ओर से जानकारी दी गई है कि, भारतीय नौसेना का वरिष्ठ नेतृत्व पिछले छह महीनों के दौरान किए गए प्रमुख परिचालन, सामग्री, रसद, मानव संसाधन, प्रशिक्षण और प्रशासनिक गतिविधियों की समीक्षा करेगा। इसमें कहा गया है कि सम्मेलन में आगामी महीनों में आगे बढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। यह सम्मेलन देश के समग्र आर्थिक विकास के लिए आवश्यक सुरक्षित समुद्री वातावरण के विकास की दिशा में कई अंतर-मंत्रालयीन पहलों को आगे बढ़ाने के लिए वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ नौसेना कमांडरों की संस्थागत बातचीत का अवसर भी प्रदान करता है। पिछले छह महीनों में सागरी क्षेत्र में तीव्र गतिविधियां देखी गई हैं, भारतीय नौसेना का अभियान अटलांटिक से प्रशांत तक फैला हुआ है। यह फोरम नौसेना की परिचालन तैयारियों की विस्तृत समीक्षा करेगा, जिसमें नौसेना प्लेटफार्मों के हथियारों/सेंसर के प्रदर्शन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। कमांडर 2047 तक पूर्ण ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के दृष्टिकोण के अनुरूप ‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से स्वदेशीकरण को बढ़ाने पर ध्यान देने के साथ चल रही नौसेना परियोजनाओं की भी समीक्षा करेंगे। जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने की दिशा में विभिन्न मानव संसाधन पहलों की समीक्षा की जाएगी और साथ ही भारतीय नौसेना में पुरानी प्रथाओं की पहचान करने और उन्हें हटाने की दिशा में हुई प्रगति की भी समीक्षा की जाएगी।

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