इस समय देश में भारत और इंडिया शब्द को लेकर विवाद चल रहा है। देश में 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को हराने के लिए सभी बीजेपी विरोधी पार्टियां एक साथ आईं और अपने गठबंधन का नाम ‘आई.एन.डी.आई.ए.’ रखा। उसके बाद शुरू हुई ‘आई.एन.डी.आई.ए.’ के खिलाफ बीजेपी की एनडीए की लड़ाई। ऐसे समय में अब बीजेपी कह रही है कि इंडिया नाम अंग्रेजों ने दिया है, जो गुलामी का प्रतीक है और देश का असली नाम भारत है। अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जी20 बैठक के लिए भाग लेने वाले 23 देशों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा है, जिसमें प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा गया है। उसके बाद इन दो शब्दों ने एक बार फिर देश में विवाद पैदा कर दिया है। देश में इंडिया और भारत को लेकर हमेशा बहस होती रही है। देश के नाम को लेकर कई लोगों की अलग-अलग राय है। इस पृष्ठभूमि में आइए भारत और इंडिया दो शब्दों के इतिहास को देखते हैं।
भारत नाम कैसे पड़ा?
कुछ लोग कहते हैं कि देश का असली नाम भारत या भारतवर्ष है। कहा जाता है कि इस देश का नाम भरत वंश के नाम पर पड़ा। कहा जाता है कि राजा दुष्यन्त और रानी शकुन्तला के पुत्र महान राजा भरत इस राजवंश के मुखिया थे। राजा भरत को भारत का प्रथम राजा माना जाता है। इसीलिए कई इतिहासकारों का मानना है कि भारत का नाम इसी शक्तिशाली राजा के नाम पर रखा गया था।
क्या है 17वीं सदी का इतिहास?
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि सिंधु नदी का नाम अंग्रेजी में इंडस हो गया। और सिंधु से इंडिया शब्द आया। फिर इंडिया शब्द से इंडिका शब्द आया। ब्रिटिश सरकार ने 17वीं शताब्दी में इंडिया को अपनाया और बाद में इस नाम को जबरदरस्ती लागू किया। अंग्रेज़ धीरे-धीरे भारत पर कब्ज़ा कर रहे थे और नाम बदल रहे थे। यहां औपनिवेशिक काल में इंडिया शब्द का खूब प्रयोग किया गया। इस कारण कुछ लोग आज भी मानते हैं कि इंडिया शब्द गुलामी का प्रतीक है।
इंडिया नाम पर बहस
1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली। देश का संविधान वर्ष 1949 में बनाया गया। 17 सितम्बर 1949 को संघ एवं राज्यों के नामों पर चर्चा प्रारम्भ हुई। संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष डाॅ. भीमराव आम्बेडकर ने आधे घंटे में इसे स्वीकार करने की इच्छा व्यक्त की। लेकिन अन्य सदस्यों के बीच नाम को लेकर असहमति थी। वे भारत और इंडिया जैसे शब्दों के बीच संबंध को समझना चाहते थे। कई बार बहस हुई और सेठ गोविंद दास, कमलापति त्रिपाठी, श्रीराम सहाय, हरगोविंद पंत, हरि विष्णु कामथ जैसे नेताओं ने इन चर्चाओं में भाग लिया। हरि विष्णु कामथ ने सुझाव दिया कि इंडिया यानी भारत को बदलकर इंडिया कर देना चाहिए।
भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा?
इसके बाद सेठ गोविंद दास ने भारत के ऐतिहासिक संदर्भ का हवाला देते हुए देश का नाम भारत रखने पर जोर दिया। इस पर कमलापति त्रिपाठी ने बीच का रास्ता अपनाया। उन्होंने कहा कि इसका नाम इंडिया की जगह भारत रखा जाना चाहिए। हरगोविंद पंत ने अपना मत व्यक्त किया कि नाम भारतवर्ष ही होना चाहिए, कोई अन्य नहीं। लेकिन इस चर्चा के बाद दूसरे देशों के साथ संबंधों का जिक्र करते हुए और देश में सभी को एक सूत्र में बांधने की कोशिश करते हुए संविधान के अनुच्छेद 1 में लिखा गया कि इंडिया एक संघ राज्य होगा। तभी से उस देश को इंडिया और यहां के लोगों को इंडियन कहा जाने लगा।