भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization) ने आदित्य-एल1 (Aditya-L1) से जुड़ी एक खास जानकारी दी है। इसरो ने गुरुवार को जानकारी दी है कि सूर्य-पृथ्वी एल1 बिंदु (Sun-Earth L1 Point) के लिए तय किए गए आदित्य-एल1 ने सेल्फी ली है और पृथ्वी (Earth) और चंद्रमा (Moon) की खूबसूरत तस्वीरें भी खींची हैं। अंतरिक्ष एजेंसी ने एक्स (ट्विटर) पर तस्वीरें और एक सेल्फी भी साझा की है, जिसे आदित्य-एल1 ने क्लिक किया था। एक्स पर एक पोस्ट में इसरो ने कहा, “आदित्य-एल1 मिशन: दर्शकों! आदित्य-एल1 ने सूर्य-पृथ्वी एल1 बिंदु के लिए सेल्फी ली, पृथ्वी और चंद्रमा की तस्वीरें खींचीं।”
अंतरिक्ष यान आदित्य-एल1 पहले ही पृथ्वी की दो परिक्रमाएं पूरी कर चुका है। आपको बता दें कि 5 सितंबर को आदित्य-एल1 ने पृथ्वी की दूसरी कक्षा सफलतापूर्वक पूरी की थी। इससे पहले 3 सितंबर को आदित्य-एल1 ने देश के पहले सूर्य मिशन के लिए पृथ्वी की पहली कक्षा पूरी की थी।
Aditya-L1 Mission:
👀Onlooker!Aditya-L1,
destined for the Sun-Earth L1 point,
takes a selfie and
images of the Earth and the Moon.#AdityaL1 pic.twitter.com/54KxrfYSwy— ISRO (@isro) September 7, 2023
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क्या है आदित्य एल-1, क्या है मिशन का लक्ष्य?
आदित्य एल-1 सूर्य का अध्ययन करने का मिशन है। इसके साथ ही इसरो ने इसे अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का पहला भारतीय सौर मिशन बताया है। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है। दरअसल, लैग्रेंजियन बिंदु वे होते हैं जहां दो वस्तुओं के बीच कार्य करने वाले सभी गुरुत्वाकर्षण बल एक दूसरे को रद्द कर देते हैं। इस वजह से L1 बिंदु का उपयोग अंतरिक्ष यान के उड़ान भरने के लिए किया जा सकता है।
मिशन के उद्देश्य क्या हैं?
भारत का महत्वाकांक्षी सौर मिशन आदित्य एल-1 सौर कोरोना (सूर्य के वायुमंडल का सबसे बाहरी भाग) की संरचना और इसके गर्म होने की प्रक्रिया, इसके तापमान, सौर विस्फोटों और सौर तूफानों के कारण और उत्पत्ति, कोरोना और कोरोनल की संरचना और वेग का अध्ययन करेगा। लूप प्लाज्मा और घनत्व, कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र की माप, कोरोनल मास इजेक्शन की उत्पत्ति, विकास और गति (सूर्य में सबसे शक्तिशाली विस्फोट जो सीधे पृथ्वी की ओर आते हैं), सौर हवाओं और अंतरिक्ष मौसम को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन करेंगे।
2 सितंबर को लॉन्च किया गया था मिशन
इसरो ने 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा से सोलर मिशन लॉन्च किया था। आदित्य L1 को सूर्य और पृथ्वी के बीच L1 बिंदु पर स्थापित किया जाना है और लॉन्च के बाद इसे पहुंचने में 125 दिन लगेंगे। इसके बाद ही आदित्य एल1 सूर्य पर शोध शुरू कर पाएगा। वहीं, चंद्रयान-3 के सफलतापूर्वक चंद्रमा पर पहुंचने के बाद एक लंबा शोध किया जाना है। इसके साथ ही इसरो कई और मिशन लॉन्च करने जा रहा है। जिसमें शुक्र और गगनयान मिशन पाइपलाइन में हैं। शुक्र अंतरिक्ष में एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसके बारे में कहा जाता है कि वह लगभग पृथ्वी जैसा है। यहां इंसान रह सकते हैं।
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