G-20 में पीएम मोदी ने उठायी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विस्तार की आवाज

जब UN की स्थापना की गयी थी, उस समय का विश्व आज से बिलकुल अलग था।उस समय UN में 51 फाउंडिंग मेंबर्स थे। आज UN में शामिल देशों की संख्या करीब 200 हो चुकी है। बावजूद इसके, UNSC में स्थाई सदस्य (permanent member) आज भी उतने ही हैं।

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नई दिल्ली में 09 सितंबर से आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन (G-20 summit) के दूसरे दिन तीसरे सत्र को संबोधित करते भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि विश्व को एक बेहतर भविष्य की तरफ ले जाने के लिए ये जरूरी है कि वैश्विक व्यवस्थाएं वर्तमान की वास्तविकताओं के मुताबिक हों।

नई वास्तविकताएँ हमारी नई वैश्विक संरचना में प्रतिबिंबित हो
आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) भी इसका एक उदाहरण है। जब UN की स्थापना की गयी थी, उस समय का विश्व आज से बिलकुल अलग था।उस समय UN में 51 फाउंडिंग मेंबर्स थे। आज UN में शामिल देशों की संख्या करीब 200 हो चुकी है। बावजूद इसके, UNSC में स्थाई सदस्य (permanent member) आज भी उतने ही हैं। तब से आज तक दुनिया हर लिहाज़ से बहुत बदल चुकी है। ट्रांसपोर्ट हो, कम्यूनिकेशन हो, हेल्थ, एजुकेशन, हर सेक्टर का कायाकल्प हो चुका है। ये नई वास्तविकताएँ हमारी नई वैश्विक संरचना में प्रतिबिंबित होनी चाहिए।

समय के साथ बदलाव जरूरी
ये प्रकृति का नियम है कि जो व्यक्ति और संस्था समय के साथ स्वयं में बदलाव नहीं लाती है, वो अपनी प्रासंगिकता खो देती है। हमें खुले मन से विचार करना होगा कि आखिर क्या कारण है कि बीते वर्षों में अनेक रीजनल फोरम्स अस्तित्व में आए हैं, और वो प्रभावी भी सिद्ध हो रहे हैं।

बहुपक्षीय विकास बैंक के मैंडेट का विस्तार
आज हर वैश्विक संस्था (global organization) को अपनी प्रासंगिकता बढ़ाने के लिए सुधार करना आवश्यक है। इसी सोच के साथ हमने कल ही अफ्रीकन यूनियन (African Union) को G-20 का स्थाई सदस्य बनाने की ऐतिहासिक पहल की है । इसी तरह, हमें बहुपक्षीय विकास बैंक (Multilateral Development Banks) के मैंडेट का विस्तार (expansion) भी करना होगा। इस दिशा में हमारे फैसले तुरंत भी होने चाहिए, और प्रभावी भी होने चाहिए।

स्थिरता और स्थायित्व की जरूरत
तेजी से बदलते विश्व में हमें परिवर्तन के साथ स्थिरता और स्थायित्व की भी उतनी ही जरूरत है। आइए! हम प्रण लें कि हरित विकास समझौता, एसडीजी पर कार्य योजना, भ्रष्टाचार विरोधी उच्च स्तरीय सिद्धांत, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और एमडीबी सुधार के अपने संकल्पों को सिद्धि तक लेकर जायेंगे।

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