G-20 summit: कठिन रहे चीनी प्रधानमंत्री ली के लिए दो दिन

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने विश्लेषकों के हवाले से कहा कि भारत और अमेरिका (America) ने शी की बेवजह अनुपस्थिति का भरपूर फायदा उठाया, जो सीपीसी संस्थापक माओत्से तुंग के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता हैं।

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 भारत की राजधानी दिल्ली (Delhi) में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन (G-20 summit) में भाग लेने पहुंचे चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग (Li Qiang) के लिए संयुक्त घोषणापत्र (joint declaration) का समर्थन करने के लिहाज से दो दिन कठिन रहे। इस घोषणापत्र को मेजबान भारत (India) की सबसे बड़ी सफलता करार दिया गया, जिसने यूक्रेन को लेकर चीन और रूस के मतभेदों को सफलतापूर्वक साध लिया। ज्ञात रहे कि शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग (President Xi Jinping) के नहीं आने पर प्रधानमंत्री ली कियांग ने चीन का प्रतिनिधित्व किया था।

इटली ने दिया बीआरआई छोड़ने का इशारा
ली की कुछ पश्चिमी नेताओं के साथ हुई बैठक भी मुश्किल भरी रही, विशेष रूप से इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी (georgia melloni) के साथ। मेलोनी ने रोम में अपेक्षित परिणाम लाने में विफलता के लिए चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को छोड़ने के इटली के संकल्प की ओर इशारा किया। इसके अलावा, भारत तब सुर्खियों में आया जब नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को जी-20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया। इसके लिए शिखर सम्मेलन से पहले ही भारत ने सफल राजनयिक अभियान चलाया। पिछले कुछ वर्षों में चीन ने राष्ट्रपति शी की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पहल के तहत बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के निवेश के साथ अफ्रीका में बड़ी पैठ बनाई है, लेकिन ऋण स्थिरता को लेकर इसकी आलोचना हुई है, खासकर छोटे देशों की ओर से। ली ने 10 सितंबर को ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (rishi sunak) के साथ एक बैठक की, जिन्होंने उन्हें जासूसी के आरोप में एक संसदीय शोधकर्ता की गिरफ्तारी के बाद ब्रिटेन के लोकतंत्र में चीन के हस्तक्षेप के बारे में लंदन की चिंता से अवगत कराया।

भारत और अमेरिका ने शी की अनुपस्थिति का उठाया फायदा
हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने विश्लेषकों के हवाले से कहा कि भारत और अमेरिका (America) ने शी की बेवजह अनुपस्थिति का भरपूर फायदा उठाया, जो सीपीसी संस्थापक माओत्से तुंग के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता हैं। पोस्ट ने नई दिल्ली जी-20 शिखर सम्मेलन के परिणाम का सारांश पेश करते हुए कहा कि दोनों देशों ने चीन की बुनियादी ढांचा कूटनीति का मुकाबला करने के लिए अमेरिका के नेतृत्व वाले बहुपक्षीय ऋण को बढ़ावा दिया, विकासशील देशों के साथ आक्रामक रुख अपनाया और घोषणापत्र में कुछ इस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया, जिसमें अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर चीनी के सहयोगी रूस की निंदा की गई।

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा
ज्ञात रहे कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, दोनों ही शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए। बाइडन ने शी की अनुपस्थिति के बारे में कहा था कि उनका यहां होना अच्छा रहता, लेकिन शिखर सम्मेलन अच्छा चल रहा है। संयुक्त बयान जारी करने के अलावा, जिसके बारे में पहले अनुमान लगाया गया था कि यह सबसे कठिन होगा, एकत्रित नेताओं ने ‘भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा’ (India-Middle East-Europe Economic Corridor) स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन की घोषणा की, जो तीन क्षेत्रों को जोड़ने वाला एक बहुराष्ट्रीय रेल और बंदरगाह समझौता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 09 सितंबर 2023 को भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा शुरू करने की योजना की घोषणा की जिसमें भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका शामिल हैं। चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने 10 सितंबर2023 को विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि बाइडन प्रशासन का असली उद्देश्य मध्य पूर्व में ‘चीन को अलग-थलग’ करने की कोशिश करना है, एक ऐसा क्षेत्र जहां हाल के वर्षों में इस क्षेत्र के साथ चीनी सहयोग में लगातार इजाफा हुआ है।

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