बिहार में सीट बंटवारे को लेकर आई.एन.डी.आई.ए. गठबंधन के घटक दलों के बीच असंतोष बढ़ता जा रहा है। प्रदेश में कांग्रेस और वामपंथी दलों ने अधिक से अधिक सीटें हासिल करने के लिए नीतीश कुमार और लालू यादव पर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है।
चर्चा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच बढ़ती नजदीकियों से कांग्रेस पार्टी नाराज है। यहां उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के रात्रिभोज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मिलवाने की एक तस्वीर वायरल हो गई है। शायद इसी वजह से कांग्रेस और वाम दलों ने नीतीश कुमार पर ज्यादा सीटें लेने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। वाम दलों ने 15 और कांग्रेस ने 22 सीटों पर अपना दावा जताया है। ये दोनों पार्टियां 22 सीट प्राप्त करने का दबाव बना रहे हैं।
सीट बंटवारे की चर्चा के साथ ही मतभेद भी शुरू
आई.एन.डी.आई.ए. की तीसरी बैठक हाल ही में मुंबई में संपन्न हुई और सीट आवंटन के मुद्दे पर चर्चा शुरू करने का निर्णय लिया गया। अब राष्ट्रीय स्तर पर सीट बंटवारे पर चर्चा शुरू होते ही विपक्षी दलों में मतभेद शुरू हो गया है।
बिहार में वर्तमान स्थिति
सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले प्रदेशों में बिहार देश का तीसरा राज्य है। यहां 40 सीटें हैं। वाम दलों ने 15 सीटों पर दावा किया है। इसमें सीपीआई (एमएल) की नौ, सीपीआई (एम) की चार और सीपीआई की दो सीटें शामिल हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि वामपंथियों ने उन सीटों पर भी दावा किया है, जहां अभी जेडीयू और आरजेडी के विधायक हैं।
इसके अलावा कांग्रेस ने नौ सीटों पर दावा किया है। यह जानकारी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने दो दिन पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। कांग्रेस ने उन सीटों पर भी दावा किया है, जहां जेडीयू के विधायक मौजूद हैं।
जेडीयू और आरजेडी 16-6 सीटों पर लड़ना चाहती है चुनाव
इस बीच चर्चा है कि नीतीश कुमार की जेडीयू और लालू प्रसाद यादव की आरजेडी 16-16 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। यदि दोनों दल इस पर कायम रहते हैं, तो कांग्रेस और वाम दलों के लिए केवल आठ सीटें बचती हैं। इन आठ सीटों में से पांच पर कांग्रेस और तीन पर लेफ्ट की।
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फिलहाल बिहार में बीजेपी के 18, लोकजन शक्ति पार्टी के छह, संयुक्त जनता दल के 15 और कांग्रेस के एक सांसद हैं। लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल का एक भी सांसद चारा घोटाले में दोषी नहीं पाया गया है। 2019 के चुनाव में उनके सभी उम्मीदवार हार गये। ऐसे में सीटों के बंटवारे पर चर्चा गरम है।
आई.एन.डी.आई.ए. की बढ़ेगी परेशानी
संक्षेप में कहें तो कांग्रेस और वाम दलों ने नीतीश कुमार की दबंगई के आगे झुकने से मना कर दिया है। सभी पार्टियां अपनी मांगों पर अड़ी हुई हैं। इस कारण आई.एन.डी.आई.ए. की परेशानी बढ़ सकती है। इसका सीधा-सीधा लाभ भाजपा को मिलना तय है।