Ganesh Chaturthi: पूजा के लिए शुभ मानी जाती है गणपति की मूर्ति

यह त्यौहार चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्थी तक मनाया जाता है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस दौरान गणपति की विधि-विधान से पूजा की जाती है। गणपति प्रतिमा का नौ दिनों तक पूजन किया जाता है।

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हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) भाद्रमास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इसे विनायक चतुर्थी और गणेश चौठ के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो गणेश चतुर्थी का त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र (Maharashtra) में इसकी बड़ धूम रहती है। पुराणों (Puranas) के अनुसार इसी दिन भगवान गणेश (Lord Ganesha) का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। हालांकि इस साल गणेश चतुर्थी को लेकर पंडितों में मतभेद है। गणेश चतुर्थी इस बार 18 सितंबर को है। कहीं 18 सितम्बर तो कहीं 19 सितम्बर को गणेश चतुर्थी मना रहे हैं।

पूजा के लिए शुभ मानी जाती है गणपति की मूर्ति
यह त्यौहार चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्थी तक मनाया जाता है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस दौरान गणपति की विधि-विधान से पूजा की जाती है। गणपति प्रतिमा का नौ दिनों तक पूजन किया जाता है। बड़ी संख्या में आसपास के लोग दर्शन करने पहुँचते हैं। नौ दिन बाद गानों और बाजों के साथ गणेश प्रतिमा को किसी तालाब, महासागर इत्यादि जल में विसर्जित किया जाता है। शास्त्र मर्मज्ञ बताते हैं कि गणेश चतुर्थी की पूजा से घर में स्थायी धन का लाभ होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। गणपति की मूर्ति को पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। वहीं दूसरी ओर नगड़ाटोली में भगवान गणेश की 15 फीट की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

मंत्रों के आह्वान से देवता का प्राकट्य
मनु स्मृति में मनु कहते हैं कि वेद से ही शब्द, स्पर्श, रूप, रस तथा गंध उत्पन्न होते हैं। यह पांच तत्व आकाश, वायु, अग्नि, जल तथा पृथ्वी के ही रूप हैं। इन पांच तत्वों से ही सृष्टि बनी है, इसलिए वेद को ब्रह्म कहना उचित है। एतरेय सूत्र के अनुसार चित् चेतन है। प्राण ऊर्जा है। वाक पदार्थ है। पदार्थ से ऊर्जा सूक्ष्म है। ऊर्जा से चेतन सूक्ष्म है। सूक्ष्म का नियंत्रण स्थूल में रहता है। मंत्र से आह्वान किया जाए तो देवता प्रकट हो जाते हैं। इसके लिए कामना, इच्छा, संकल्प और श्रद्धा जरूरी है। वेद, पुराण और उपनिषद राष्ट्र की अनमोल धरोहर हैं। युवाओं को इनका स्वाध्याय करना चाहिए।

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