सर्वोच्च न्यायालय ने ओटीटी( OTT) प्लेटफॉर्म पर दिखाए जा रहे प्रोग्राम की निगरानी पर मुहर लगा दी है। 4 मार्च को न्यायालय ने कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म की स्क्रिनिंग जरुरी है। अपने आदेश में सर्वोच न्यायालय ने कहा कि ओटीटी फ्लेटफॉर्म पर पोर्न तक दिखाए जा रहे हैं। इसलिए इस पर निगरानी कि व्यवस्था आश्यक है। न्यायालय ने इस दौरान केंद्र सरकार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के रेग्यूलेशन को लेकर गाइडलाइंस पेश करने का निर्देश दिया।
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तांडव वेबसीरीज की चल रही जांच में अमेजन की इंडिया हेड अपर्णा पुरोहित की ओर से इलाहाबाद उच्च न्यायायल के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण ने ये आदेश दिए। उन्होंने कहा कि इंटरनेट और ओटीटी पर सिनेमा देखना तो आम बात है। लेकिन इस पर पोर्नोग्राफी तक दिखाये जा रहे हैं। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को हाल ही में सोशल मीडिया के लिए जारी गाइडलाइंस न्यायालय में पेश करने का निर्देश दिया।
अमेजन ने दी दलील
इस सुनवाई के दौरान अमेजन की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी। उन्होंने कहा कि उनकी क्लाइंट के खिलाफ 10 केस दर्ज हैं। जबकि वह केवल एक कर्मचारी है, न कि प्रोड्यूसर, जो ओटीटी प्लेटफॉर्म पर वेबसीरीज की स्ट्रीमिंग करते हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से किया था इनकार
बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 25 फरवरी को अपर्णा पुरोहित को गिरफ्तारी से बचाव करने से इनकार कर दिया था। अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दिया था। न्यायालय ने कहा था कि इस तरह के लोग बहुसंख्यक समुदायय के धर्म के प्रतिष्ठित चेहरों को बेहद खराब तरीके से पेश कर पैसा कमाने का जरिया बनाते हैं। वे देश की सहिष्णुता का गलत फायदा उठाते हैं।