सर्वोच्च न्यायालय ने ग्रीन पटाखों के उत्पादन और बिक्री पर लगी रोक को बरकरार रखा है। जस्टिस एएस बोपन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सिर्फ बेरियम जैसे हानिकारक पदार्थों के बिना इस्तेमाल वाले ग्रीन पटाखों की इजाजत होगी।
कोर्ट पहले ही कह चुका है कि पटाखों पर वहां पूर्ण प्रतिबंध लगा सकते हैं, जहां प्रदूषण का स्तर ठीक नहीं है। पर्यावरण ठीक वाली जगहों पर ग्रीन क्रैकर का इस्तेमाल किया जा सकता है। जिन जगहों पर प्रदूषण का स्तर ठीक हो, वहां पर पटाखों का इस्तेमाल किया जा सकता है, बशर्तें हानिकारक पदार्थों से उनका निर्माण न किया गया हो। इसके लिए सरकार और एजेंसी का मैकेनिज्म चुस्त-दुरुस्त हो। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि जिन राज्यों ने पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा है। उसमें कोर्ट कोई भी हस्तक्षेप नहीं करेगा।
बैन के बावजूद इस्तेमाल पर जताई चिंंता
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पटाखों पर बैन के बावजूद इनके इस्तेमाल पर चिंता जाहिर की। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि पटाखों के स्रोत का पता कर कार्रवाई करें। सुप्रीम कोर्ट ने एएसजी ऐश्वर्या भाटी से कहा था कि पटाखे चलाने वाले लोगों पर ही सिर्फ कार्रवाई काफी नहीं है, आपको बाहर से आने वाले पटाखों के स्रोत का पता लगाकर उनके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। ये कार्रवाई शुरू में ही होनी चाहिए। पटाखे छोड़े जाने के बाद कार्रवाई करने का फायदा नहीं है।
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2016 से नहीं दिया गया लाइसेंस
एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि साल 2016 के बाद दिल्ली पुलिस ने किसी को लाइसेंस नहीं दिया है। दो सालों में 17 हजार और 10 हजार किलो पटाखे जब्त किए गए हैं। कोर्ट ने इस पर टिप्पणी की कि चूंकि साल 2016 के बाद से ही पटाखों पर बैन है, लिहाजा लाइसेंस देने का वैसे भी सवाल नहीं उठता।