Indo-Pacific Army Chiefs Conference: छाया रहा कनाडा-भारत का राजनयिक विवाद

भारत के साथ 13वें इंडो-पैसिफिक सेना प्रमुख सम्मेलन की सह-मेजबानी कर रहे नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने भी भारत-कनाडा विवाद पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि हम दोनों देशों और उनके संबंधों की परवाह करते हैं, क्योंकि हमारे दोनों के साथ संबंध बहुत मजबूत हैं।

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राजधानी के मानेकशा सेंटर में 26 सितंबर से शुरू हुई इंडो-पैसिफिक आर्मी चीफ कॉन्फ्रेंस ( Indo-Pacific Army Chiefs Conference) में कनाडा और भारत के बीच राजनयिक विवाद का मुद्दा छाया रहा। कनाडाई सेना के डिप्टी कमांडर और सम्मेलन की मेजबानी कर रहे भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी भारत-कनाडा (India-Canada) विवाद पर खुलकर बोले। कनाडा के सैन्य अफसर ने इसे राजनीतिक मुद्दा बताते हुए कहा कि इससे दोनों देशों के राजनीतिक आका निपटेंगे। एरिक गार्सेटी (Eric Garcetti) ने कहा कि दोनों देशों के साथ हमारे संबंध बहुत मजबूत हैं, इसलिए हम दोनों देशों और उनके संबंधों की परवाह करते हैं।

कनाडाई सेना की टुकड़ियों की उपस्थिति पर कोई असर नहीं
इंडो-पैसिफिक आर्मी चीफ कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने आये कनाडा के उप सेना प्रमुख मेजर जनरल पीटर स्कॉट ने कहा कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान से इंडो-पैसिफिक सम्मेलन में कनाडाई सेना की टुकड़ियों की उपस्थिति पर कोई असर नहीं पड़ा है और वे सेना से सेना के बीच संबंध बनाने के लिए यहां आए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान की पूरी जानकारी है, लेकिन इंडो-पैसिफिक सम्मेलन में दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे से सीखने और एक साथ प्रशिक्षण और अभ्यास करने के अवसर ढूंढने पर ध्यान केंद्रित करेंगी।

मेजर जनरल ने बताया राजनीतिक मुद्दा
भारत और कनाडा के बीच चल रहे राजनयिक विवाद के बीच कनाडाई सेना के डिप्टी कमांडर स्कॉट ने अपनी सरकार का रुख बताते हुए भारत से जांच में भाग लेने और सहयोग करने का अनुरोध किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि इसका इंडो-पैसिफिक सम्मेलन में हम पर यहां कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। मेजर जनरल स्कॉट ने कहा कि यह एक राजनीतिक मुद्दा है, इसलिए दोनों सरकारों को इससे निपटने दीजिए। उन्होंने कहा कि कनाडा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भागीदारों के साथ प्रशिक्षण या अभ्यास में भाग लेने के लिए उत्सुक है। कनाडा उन अवसरों की तलाश में रहता है, जहां हम इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भागीदारों के साथ प्रशिक्षण या अभ्यास में भाग ले सकें। उन्होंने कहा कि हम यहां आकर बहुत खुश हैं और भारत इसकी मेजबानी कर रहा है, इसके लिए हम बहुत आभारी हैं।

अमेरिका में 25% विदेशी छात्र भारत से
भारत के साथ 13वें इंडो-पैसिफिक सेना प्रमुख सम्मेलन की सह-मेजबानी कर रहे नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने भी भारत-कनाडा विवाद पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि हम दोनों देशों और उनके संबंधों की परवाह करते हैं, क्योंकि हमारे दोनों के साथ संबंध बहुत मजबूत हैं। हम सभी को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम उन देशों के रूप में एक साथ आएं जो संप्रभुता, सुरक्षा और हमारे संबंधों की क्षमता को गंभीरता से लेते हैं। भारत में अमेरिकी राजदूत का कहना है कि इस गर्मी में रिकॉर्ड संख्या में छात्र अमेरिकी वीज़ा पर कार्रवाई की गई है। एरिक गार्सेटी ने कहा कि अमेरिका में 25% विदेशी छात्र भारत से आएंगे। हम भारत में अपने दस लाखवें वीज़ा आवेदन के फैसले के बहुत करीब हैं।

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