राधास्वामी सत्संग ब्यास के प्रमुख पर विवाद! ये भक्ति से हेराफेरी तो नहीं.?

राधास्वामी सत्संग ब्यास के प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लों कॉर्पोरेट हेराफेरी और भूखंडों पर कब्जे के मामलों से घिरे रहे हैं।

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धन और जमीन को लेकर राधास्वामी सत्संग ब्यास के प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लों का नाम निरंतर विवादों में रहा है। उनके देश-विदेश में लाखो भक्त हैं जो उन्हें भगवान का अवतार मानते हैं। लेकिन खबरों में गुरिंदर सिंह ढिल्लों का नाम भूखंड पर कब्जा, फर्जी कंपनियों को खड़ा करके धन को यहां-वहां करने के लिए भी चर्चा में रहा है। इन सभी मामलों को लेकर सवाल खड़ा होता है कि, कहीं ये लाखो लोगों के विश्वास और भक्ति से भी हेराफेरी तो नहीं है।

वर्ष 2020 में ही रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड के माध्यम से दो हजार करोड़ की हेराफेरी करने के मामले में भी गुरिंदर सिंह ढिल्लों को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने निर्देश जारी करके सहायता करने को कहा था। ये कोई पहली बार नहीं है कि बीस लाख अनुयायियों वाले राधास्वामी सत्संग ब्यास और उसके प्रमुख पर धन और भूखंड हथियाने के आरोप लगे हों। ये पूरा मामला एक प्रभावशाली बाबा से घिरा है जो मोह-माया से मुक्ति की बात तो करते हैं लेकिन खुद भौतिकवाद से दूर नहीं रह पाते।

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  • 2021 – शिमला में राधास्वामी सत्संग ब्यास द्वारा दान किये गए भूखंड को बेचने की अनुमति का मामला चर्चा में रहा है। इसे ‘हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होंल्डिंग एक्ट 1972’ का उल्लंघन भी मारा जा रहा है।
  • 2020 – रेलिगेयर इंटरप्राइजेस लिमिटेड के पूर्व प्रवर्तक मलविंदर मोहन सिंह ने दिल्‍ली उच्च न्यायालय में प्रतिज्ञा पत्र दायर करके आरोप लगाया था कि गुरिंदर सिंह ढिल्‍लों ने फर्जी कंपनियों के जरिये पैसों की हेराफेरी की। गुरिंदर सिंह ढिल्‍लों मलविंदर सिंह के संबंधी हैं। मलविंदर सिंह के अनुसार, ढिल्लों और उनके परिवार पर 2016 तक 1,473 करोड़ रुपये बकाया थे।
  • 2019 – दाइची सांक्यो के पक्ष में निर्णय के अनुरूप दिल्ली उच्च न्यायालय ने राधास्वामी सत्संग ब्यास के प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लों सहित 55 लोगों को आरएचसी होल्डिंग कंपनी की राशि न्यायालय में जमा करने का आदेश दिया था। ये मामला 3,500 करोड़ रुपए की डिक्री से जुड़ा है। यह मामला रेनबैक्सी लेबोरेटरीज की बिक्री से जुड़ा है।
  • 2019 – राधास्वामी सत्संग ब्यास पर अवैध खनन और विस्तार का आरोप लगा था। इस संबंध में पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई थी। इसमें ब्यास पर अवैध खनन व डेरे के विस्तार का आरोप लगाया गया था। इस संबंध में 2005 में एक कमेटी बनाई गई थी, जिसमें ब्यास की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे। इस संबंध में मु्द्दा लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी ने 2014 में उठाया था।

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  • 2017 – चाय बागान काटकर राधास्वामी सत्संग ब्यास द्वारा शेड निर्माण करने का आरोप भी ब्यास पर लगा है। इसमें 648 कनाल भूमि पर चाय बगान काटकर राज्य सरकार की अनुमति के बगैर बड़े-बड़े शेड के निर्माण का आरोप किया गया था। इस संदर्भ में परौर के डेरा को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का नोटिस जारी हुआ था।
  • 2017 – राधास्वामी सत्संग ब्यास द्वारा पंजाब में सड़क निर्माण का प्रकरण भी गरमाया था। इसमें 11 सदस्यों वाली ग्राम विकास सोसायटी ब्यास ने आरोप लगाया था कि सत्संग ब्यास ने अवैध रूप से स्कूल के खेल का मैदान, वन विभाग की जमीन का उपयोग किया है। हालांकि, इसका राधास्वामी सत्संग ब्यास ने खंडन किया था। डेरा के सचिव जे.सी सेठी ने बताया कि संबंधित भूखंड पर जंगल था। जहां नशेड़ी लोगों का जमावड़ा लगता था।

 

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