Beti Bazaar: घरों से डोलियां उठायी जाने वाली परंपरा के बीच लगाई जा रही बेटियों की बोलियां, पढ़ें पूरा वाकया

बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओं के नारे वाले समय में अपनी ही बेटी- बहनों को एक गंदे बाजार में बेचने के इन आंकड़ों से इसकी व्यापकता का सही-सही अंदाजा तो नहीं लगाया जा सकता । लेकिन परिजनों और नजदीकी रिश्तेदारों द्वारा चलायी जा रही यह मानव तस्करी पारिवारिक, सामाजिक और मानवीय मूल्यों के गहरे पतन की तरफ संकेत जरूर करती है।

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घरों से बेटियों (daughters) की डोलियां उठायी जाने वाली परंपरा के देश में परिजनों (Family members) द्वारा ही बेटियों की बोलियां लगारकर बाजार में बेचे जाने की दिल दहलाने वाली खबरें प्रकाश में आई हैं। हिन्दी चैनल ‘आज तक’ ने अपने स्टिंग आपरेशन ‘बेटी बाजार’ (Beti Bazaar) में पारिवारिक रिश्तों को कलंकित करने वाले इस कुकृत्य का पर्दाफाश किया है। चैनल ने राजस्थान (Rajasthan) और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में हो रहे इस घिनौने सौदे का कुछ क्षेत्रों से स्टिंग किया है।

कॉन्ट्रैक्ट करते हैं परिजन
‘बेटी बाजार’ स्टिंग ऑपरेशन (sting operation) ने यह भी साफ कर दिया है कि बाकायदा बेटियों को बेचने के लिए मां-बाप, और चाचा कॉन्ट्रैक्ट करते हैं। एक शख्स दो नाबालिग लड़कियां दिखाता है। रिश्ते में यह शख्स इन लड़कियों का चाचा है। यह शख्स एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर एक नाबालिग लड़की की कीमत छह से सात लाख रुपये बताता है। इसी तरह राजस्थान के सवाई माधोपुर के अदलवाड़ा गांव में बेटियों के मां-बाप ही उनकी बोलियां लगाते हैं। अपनी दो बेटियों को बेचने का जुगाड़ कर रही एक महिला एक बेटी के एवज में तीन लाख रुपये मांगती है।

गंदे खेल में मामा भी भागीदार
मां-बाप के बाद नजदीकी रिश्तेदारों (close relatives) में सबसे विश्वसनीय रिश्ता माना जाने वाला मामा भी इस गंदे खेल का हिस्सा बना हुआ है, एक उदाहरण देखिए- राजस्थान के टोंक जिले के जयसिंहपुरा गांव में एक नाबालिग लड़की का अधेड़ उम्र का मामा अपनी भांजी की कीमत एक लाख 70 हजार रुपये बताता है और उसे बेचने के लिए राजी हो जाता है।

बेटियों के बाजार में बिचौलियों की भरमार
नाबालिग बच्चियों को जिस्मफरोशी के धंधे के स्टिंग में बताया गया है कि राजस्थान के गांवों में बेटियों की बोलियां लगाई जा रही हैं। बेटियों के इस बाजार में बिचौलियों की भरमार है। राजस्थान के बूंदी जिले का एक गांव रामनगर, जहां हर तरफ गरीबी है। यहां चंद रुपयों की खातिर लोग अपनी बेटियों को बेच रहे हैं। इस गांव में एक बिचौलिया बताता है कि गांव में बहुत सारी लड़किया हैं। कम से कम 50 से 60 लड़कियां हैं। यह बिचौलिया इन नाबालिग लड़कियों की सौदेबाजी की बात करता है। वह कहता है कि वह बहुत आसानी से ये सब करवा देगा। कॉन्ट्रैक्ट के नाम पर खानापूर्ति करनी होगी। ये बताया जाएगा कि लड़कियों को होटल में नाच-गाने के लिए भेजा गया है।

भाई ही कर रहा बहन का सौदा
बेटी-बहनों की सौदेबाजी का यह बाजार केवल राजस्थान तक ही सीमित नहीं है। मध्य प्रदेश में भी बेटियों की इसी तरह की सौदेबाजी का पर्दाफाश हुआ है। मध्य प्रदेश के बोरखेड़ी गांव में एक शख्स ने अपनी ही 16 साल की बहन की सौदेबाजी करते एक महीने के लिए तीन लाख रुपये की मांग रखी। इसी तरह बरदिया गांव में एक दलाल अपने ही परिवार की लड़कियों की सौदेबाजी करते बताता है कि 15 नाबालिग लड़कियां मौजूद हैं। लेकिन फिलहाल पांच ही सौदे के लिए तैयार हैं। रतलाम जिले के पिपलिया जोधा गांव में एक महिला दो लाख रुपये में अपनी भतीजी को बेचने के लिए तैयार हो गई।

मूल्यों के गहरे पतने के संकेत
बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओं के नारे वाले समय में अपनी ही बेटी- बहनों को एक गंदे बाजार में बेचने के इन आंकड़ों से इसकी व्यापकता का सही-सही अंदाजा तो नहीं लगाया जा सकता । लेकिन परिजनों और नजदीकी रिश्तेदारों द्वारा चलायी जा रही यह मानव तस्करी पारिवारिक, सामाजिक और मानवीय मूल्यों के गहरे पतन की तरफ संकेत जरूर करती है। इस पर शीघ्र ही कड़ी कार्रवाई ने की गई तो हालात और भी नारकीय हो सकते हैं।

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