कैबिनेट बैठक के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस निर्धारित कार्यक्रमों को रद्द कर अचानक दिल्ली के लिए रवाना हो गए। इनके अचानक दिल्ली दौरे को लेकर प्रदेश में चर्चा गरमा गई है। पता चला है कि दोनों केंद्रीय नेतृत्व के जरूरी संदेश मिलने के बाद दोनों राजधानी पहुंचे हैं।
शिवसेना सूत्रों ने बताया कि शिंदे-फडणवीस कैबिनेट विस्तार को मंजूरी देने के लिए दिल्ली गए हैं। हालांकि, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार उनके साथ नहीं गए हैं। इस कारण इसमें बड़ी अंदरूनी राजनीति दिख रही है। दिलचस्प बात यह है कि 3 अक्टूबर को दोपहर की कैबिनेट बैठक में भी अजीत पवार मौजूद नहीं थे। जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लालबाग के राजा के दर्शन करने मुंबई आए थे तो भी अजीत पवार उनके स्वागत के लिए आने से बचते रहेष दूसरी ओर, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस पूरे दौरे में शाह के साथ रहे। इस दौरान फडणवीस के सागर स्थित बंगले पर तीनों के बीच गुप्त बैठक भी हुई।
इसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के दौरे के दौरान भी नहीं अजीत पवार उनसे नहीं मिले। इसलिए, बीजेपी हलके में चर्चा है कि केंद्रीय नेतृत्व ने पवार की अनुपस्थिति को गंभीरता से लिया है। इसीलिए अजीत पवार गुट को समन्वय समिति की बैठक का निमंत्रण नहीं भेजा गया। इसके बाद इस बात पर भी चर्चा शुरू हो गई है कि क्या महागठबंधन में शामिल घटक दलों के बीच सबकुछ ठीक है।
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मंत्रियों से शिकायतें
जैसे-जैसे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार का सभी विभागों में दखल बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे शिवसेना और बीजेपी के मंत्रियों में बेचैनी है। इस संबंध में कई लोगों ने वरिष्ठों से शिकायत की है। हालांकि, शीर्ष नेतृत्व ने सब्र रखने की सलाह दी है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के अधिकार क्षेत्र में सीधे घुसपैठ शुरू करने से पवार के प्रति नाराजगी बढ़ने की खबर है। समझा जाता है कि शिंदे-फडणवीस के दिल्ली दौरे के दौरान इस पर चर्चा होगी।