कोरोना से लड़ने में बिल्डिंगवाले कच्चे, श्रीमान से पावरफुल श्रीमती जी

सर्वे में तीन वार्डों की झुग्गी-झोपड़ी और इमारतों में रहनेवाले लोगों के 8,870 में से 6,936 सैंपल को इकट्ठा किया गया। जुलाई में आई इसकी रिपोर्ट मे पता चला कि झुग्गी-झोपड़ियों की 57 फीसदी और गैर झुग्गी-झोपड़ियों की 16 फीसदी जनसंख्या में एंटीबॉडी विकसित हुई थी।

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सचिन प्रभाकर धानजी

मुंबई। कोरोना काल में महाराष्ट्र सरकार और मुंबई महानगरपालिका मुंबई के झोपड़पट्टियों मे रहनेवाले लोगों की सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंतित थी। साफ-सफाई से लेकर सोशल डिस्टैंसिंग और मास्क पहनने जैसे सुरक्षा के नियमों पर अमल कराना इन झोपड़पट्टियों में काफी मुश्किल काम है। लेकिन सीरो सर्विलांस शोध में एक हैरान करनेवाला खुलासा हुआ है।
यहां के तीन वार्डों के झोपड़पट्टियों और इमारतों में दो बार सर्वे कराया गया, जिसमें पतै चला कि झोपड़पट्टियों में रहनेवाले लोगों में इमारतों मे रहनेवालों की तुलना में एंटीबॉडी ज्यादा बनी है। इसके सााथ ही यह भी पता चला है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कोरोना संक्रमण से लड़ने की क्षमता ज्यादा है। सर्वे में कुल महिलाओं में से 59 फीसदी में एंटीबॉडी पाई गई, जबकि पुरूषों में 53 फीसदी थी। इसका एक मतलब ये है कि एक बड़ी तादाद में लोगों को कोरोना हुआ और उन्हें पता भी नहीं चला।
झोपड़पट्टियों में रहते हैं 60 फीसदी मुंबईकर
इस चौंकानेवाले रहस्य का खुलासा होने से राज्य सरकार के साथ ही मुंबई महानगरपालिका ने भी राहत की सांस ली है। क्योंकि मुंबई की आबादी के करीब 60 प्रतिशत लोग चॉल और झोपड़पट्टियों में रहते हैं। घनी आबादी और घरों मे शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण इन्हें कोरोना का हॉट स्पॉट माना जा रहा था। अप्रैल, मई और जून महीने में एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी कही जानेवाली धारावी में कोरोना संक्रमण काफी बढ़ भी गया था और प्रशासन के लिए वहां कोरोना महामारी पर नियंत्रण पाना बड़ी चुनौती बन गई थी। लेकिन जुलाई के बाद वहां की स्थिति नियंत्रण में आने लगी।
दूसरे सर्वे की रिपोर्ट
मनपा के तीन वार्ड आर/उत्तर, एम/पश्चिम और एफ/उत्तर में दूसरा सर्वेक्षण सितंबर महीने के आखिरी दिनों में किया गया। इसमें 5840 में से 5384 सेंपल इकट्ठा किए गए थे। इनमे संक्रमण के लक्षण दिखनेवाले, स्वस्स्थ हो गए और लक्षण नहीं दिखनेवाले लोग शामिल थे। इस सर्वे में झोपड़पट्टी में रहनेवाले 45 प्रतिशत और इमारतों के 18 प्रतिशत लोगों मे एंटीबॉडी पाई गई।
पहले सर्वे की रिपोर्ट
जून में सीरो सर्विलांस की शुरुआत हुई और तीन वार्डों की झुग्गी-झोपड़ी और इमारतों में रहनेवाले लोगों के 8,870 में से 6,936 सैंपल को इकट्ठा किया गया। जुलाई में आई इसकी रिपोर्ट मे पता चला कि झुग्गी-झोपड़ियों की 57 फीसदी और गैर झुग्गी-झोपड़ियों की 16 फीसदी जनसंख्या में एंटीबॉडी विकसित हुई थी।
इस तरह कराया गया सर्वे
सीरोलॉजिकल सर्वे के तहत किसी व्यक्ति का ब्लड सीरम का टेस्ट किया जाता है, जो व्यक्ति के शरीर में संक्रमण के खिलाफ लड़ने के लिए एंटीबॉडी की व्यापकता चेक करता है। इस शोध से पता चला कि मुंबई शहर में कोविड-19 के एसिम्प्टोमैटिक मरीज ज्यादा हैं। सीरो सर्विलांस एक साझा कमीशन है, जिसमें नीति आयोग, बीएमसी और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च शामिल हैं।
क्या कहना है बीएमसी का?
बीएमसी का कहना है कि पक्की इमारतों की तुलना में झुग्गी में रहने वालों में एंटी बॉडी मिलने की दर ज्यादा इसलिए है, क्योंकि झुग्गी में रहने वाले लोग सार्वजनिक शौचालयों और नलों का इस्तेमाल करते हैं और वे वायरस के संपर्क में ज्यादा रहे हैं। सीरो सर्वे के जरिये एक और अहम जानकारी ये मिली कि झुग्गी बस्तियों में पुरूषों की तुलना में महिलाओं में एंटीबॉडी मिलने की तादाद ज्यादा है।
महाराष्ट्र में सितंबर में सबसे ज्यादा संक्रमण
महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण सबसे ज्यादा सितंबर में हुआ है। संक्रमण में करीब 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बीते सितंबर में पिछले 6 माह की अपेक्षा सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण बढ़ा। बीते अगस्त के दौरान राज्य में जांच 42 फीसदी बढ़ाई गई थी। इसे और बढ़ाने की जरुरत थी। सितंबर में अगस्त की तुलना में केवल 26 फीसदी ज्यादा जांच हुई। जुलाई में प्रतिदिन 37,528, अगस्त में 64,801 और सितंबर में हर रोज 88,209 कोरोना टेस्ट हुए।
देश में भी सितंबर में चरम पर रहा संक्रमण
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गुरुवार सुबह आठ बजे जारी किये गये आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 के 86,821 नये मामले सामने आने के बाद देश में संक्रमण के कुल मामले बढ़ कर 63,12,584 हो गये। इनमें 26,21,418 मामले सितंबर में सामने आये। पिछले महीने इस रोग से 33,390 मरीजों की मौत भी हुई, जो अब तक इस बीमारी से हुई कुल मौतों का करीब 33.84 प्रतिशत है। सितंबर में 24,33,319 मरीज इस रोग से उबरे, जो देश में अब तक संक्रमण मुक्त हुए कुल 52,73,201 मरीजों का करीब 46.15 प्रतिशत है।

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