स्विट्जरलैंड में सार्वजनिक स्थानों पर मुस्लिम महिलाओं के बुर्का और हिजाब से चेहरा ढकने पर रोक लगा दी गई है। यह रोक जनमत संग्रह के बाद लगाई गई है। फ्रांस, बेल्जियम और ऑस्ट्रिया आदि देशों में पहले से ही इस तरह की पाबंदी लागू है। यह निर्णय लेने से पहले स्विट्जरलैंड में जनमत संग्रह कराया गया था, जिसमें 51 फीसदी लोगों ने बुर्के और हिजाब पहनने के खिलाफ वोट दिया था।
इस प्रतिबंध के लागू हो जाने के बाद अब मुस्लिम महिलाएं रेस्तरां, खेल के मैदान और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब और बुर्के पहनकर नहीं जा सकेंगी। हालांकि स्विट्जरलैंड की संसद और देश की संघीय सरकार का गठन करनेवाली सात सदस्यीय कार्यकारी परिषद ने इस जनमत संग्रह का विरोध किया है।
धार्मिक स्थलों पर छूट
प्रस्ताव में धार्मिक स्थलों पर जाते समय बुर्का और हिजाब पहनने पर छूट दी गई है। इसके साथ ही महामारी को देखते हुए भी चेहरे पर मास्क लगाने की छूट दी गई है। बता दें कि पिछले काफी समय से स्विट्जलैंड में इस बात को लेकर बहस जारी थी। इसलिए इसके लिए जमनत संग्रह कराने का निर्णय लिया गया। इसके लिए 7 मार्च को मतदान कराए गए।
50.8 फीसदी हुआ मतदान
मतदान में 1,426,992 लोगों ने बैन के पक्ष में, जबकि 1,1359,621 लोगों ने इसके खिलाफ मतदान किया। मतदान का प्रतिशत 50.8 फीसदी रहा। हालांकि बैन को लागू करते समय किसी धर्म का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन तमाम राजनेताओं और मुस्लिम संगठनों ने इसे इस्लामफोबिया से ग्रस्त कदम बताया है। बता दें कि वर्ष 2009 में स्विट्जरलैंड में नई मीनारों के निर्माण पर रोक लगाने को लेकर जनमत संग्रह कराया गया था।
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इन देशों में भी है बैन
इस तरह के प्रतिबंध पहले भी लगाए जा चुके हैं। सबसे पहले फ्रांस ने वर्ष 2011 में चेहरे को पूरी तरह से ढंकने पर प्रतिबंध लगा दिया था। 2019 मे आस्ट्रिया ने भी बुर्का पहनने पर बैन लगा दिया था। इसके साथ ही कनाडा, डेनमार्क, बेल्जियम, तजाकिस्तान, तंजानिया, बुल्गारिया, कैमरुन, चाड, कांगो, गैबन में भी इस पर बैन हैं। केवल युरोप ही नहीं, बल्कि अफ्रीकी देशों में भी इस तरह के बैन लागू हैं।
बैन को लेकर तर्क
स्विस पीपल्स पार्टी के सांसद और रेफरेंडम कमेटी के सदस्य वाल्टर वॉबमन ने कहा है कि ये वोटिंग इस्लाम के खिलाफ नहीं है, लेकिन बुर्का पहनना कट्टर इस्लाम की राजनीति का हिस्सा बन गया है। यूरोप में इस्लाम का राजनीतिकरण तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन स्विट्जलैंड मे ये संभव नहीं है। वॉबमन ने कहा कि स्विट्जलैंड में हमारे यहां परंपरा रही है कि आप अपना चेहरा दिखाएं। ये हमारी मूल परंपरा का प्रतीक है
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मुस्लिम संगठनों ने की निंदा
मुस्लिम संगठनों ने इसकी निंदा की है और कहा है कि वे इसे चुनौती देंगे। स्विट्जलैंड के सेंट्रल काउंसिल ऑफ मुस्लिम्स ने बयान जारी कर कहा है कि ये फेसला पुराने जख्मों को हरा करनेवाला है और कानूनी रुप से असामनता के सिद्धांत का विस्तार है। इस कदम से मुस्लिम अल्पसंख्यकों को अलग-थलग करने का संदेश गया है।
बैन के कारण
जिन देशों में ये बैन लगाया गया है, उनमें से ज्यादातर देशों का कहना है कि बुर्के की आड़ में आतंकवादी अपने काम को अंजाम दे देते हैं। लोगों को लगता है कि बुर्के में कोई महिला होगी। इस वजह से आतंकी अपनी घटना को आसानी से अंजाम दे देते हैं। यूरोपीय देशों में ऐसी कई घटनाएं घट चुकी हैं।