सर्वोच्च न्यायालय ने सपा नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम खान की दोषसिद्धि पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जस्टिस एमएम सुंदरेश की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि कोर्ट नाबालिग होने के पहलू पर रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। ऐसे में इस स्तर पर कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने जिला जज को दिया था ये निर्देश
कोर्ट ने 26 सितंबर को मुरादाबाद के डिस्ट्रिक्ट जज को निर्देश दिया था कि वो किशोर न्याय अधिनियम के तहत अब्दुल्लाह आजम खान के नाबालिग होने के पहलू पर फैसला करें। 01 मई को कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था। 15 साल पहले 29 जनवरी 2008 को छजलैट पुलिस ने पूर्व मंत्री आजम खान की कार को चेकिंग के लिए रोका था, जिससे उनके समर्थक भड़क गए थे। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया था। इस हंगामे में अब्दुल्ला समेत नौ लोगों को आरोपित बनाया गया था। पुलिस ने सभी लोगों पर सरकारी काम में बाधा डालने और भीड़ को उकसाने के आरोप में केस दर्ज किया था।
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ट्रायल कोर्ट ने ठहराया था दोषी
ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में आजम खान और अब्दुल्ला आजम को दोषी करार देते हुए दो-दो साल की सजा सुनाई थी। जिसके दो दिन बाद ही उन्हें यूपी विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। हाई कोर्ट ने दोष सिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है।