भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी कनखल के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि मां दुर्गा (Maa Durga) की उपासना के दिन अश्विन शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) 15 अक्टूबर से आरम्भ हो रहे हैं। इस बार मां भगवती सिंह (lion) पर सवार होकर आएंगी। इस कारण से यह वर्ष क्षत्रियों खासकर सेना, पुलिस के लिए कष्टकारी होगा। वैसे तो पूरे वर्ष में चार नवरात्र होते हैं, जिनमें दो गुप्त होते हैं और दो नवरात्र सभी लोग करते हैं। जो चैत्र व अश्विन मास में आते हैं। इन सभी में शारदीय नवरात्र बहुत ही फलदायी होते हैं।
विशेष प्रभावी होगी शक्ति पूजा
नवरात्रि में कलश (Kalash ) की स्थापना का मुहूर्त 10. 25 प्रातः से 11.25 तक होगा। इसमें वृश्चिक लग्न होगा, जो कलश स्थापना का स्थिर लग्न का मुहूर्त होगा। उन्होंने बताया कि 15 अक्टूबर को 11.45 से 12.25 दोपहर तक अभिजित मुहूर्त होगा ये भी बहुत शुभ कहा गया है। इस बार नवरात्र पूरे हैं, कोई भी तिथि कम या अधिक नहीं है। इसलिए इन नवरात्रों में शक्ति पूजा (shakti puja) विशेष प्रभावी होगी।
ग्रह की दिशा के अनुसार करें व्रत
उन्होंने बताया कि जिनका सूर्य कमजोर है, वह पहले नवरात्र को व्रत करें, जिनका चंद्रमा सही नहीं है वह दूसरे नवरात्रि का व्रत करें, मंगल खराब वाले तीसरे नवरात्र का, बुध खराब वाले चतुर्थ, गुरु खराब वाले पंचम, शुक्र खराब वाले षष्ठ, शनि खराब वाले सप्तम, राहु खराब वाले आठवें तथा जिनका केतु खराब हो या केतु की दशा हो वो नवम नवरात्र का व्रत करें। सभी प्रकार की सफलता के लिए नव दिन व्रत करें। उन्होंने बताया कि 24 अक्टूबर को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। 22 अक्टूबर को महा अष्टमी व 23 अक्टूबर को नवमी तिथि होगी।
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