14 अगस्त 1947 को संयुक्त भारतीय सेना का विभाजन हो गया। एक हिस्सा भारत में, दूसरा पाकिस्तान में। यह सेना, जो विभाजन से पहले अत्यधिक अनुशासित थी, पाकिस्तान में विलय के बाद ‘जिहादी आतंकवादी सेना’ में तब्दील हो गई। यह जिहादी स्वभाव इतना भयानक था कि तत्कालीन पाकिस्तानी कमांडर (Pakistani commander) ने ‘सिखों का कत्लेआम करने, महिलाओं के साथ बलात्कार (rape) करने’ का फतवा (fatwa) जारी कर दिया, ऐसा स्वतंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सावरकर (Ranjit Savarkar) का कहना है।
शनिवार, 21 अक्टूबर को मुंबई के दादर स्थित स्वतंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक (Swatantraveer Savarkar National Memorial) के मैडम कामा सभागार में ‘पाकिस्तान का कश्मीर पर बलात्कार’ विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वह इस कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए बोल रहे थे। इस अवसर पर लेफ्टिनेंट कर्नल मनोज कुमार सिन्हा, ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, कैप्टन संजय पाराशर, कैप्टन सिकंदर रिजवी सहित स्वतंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे, केयरटेकर राजेंद्र वराडकर, सह-केयरटेकर स्वप्निल सावरकर उपस्थित थे।
76 साल बाद भी हरे हैं जख्म
रणजीत सावरकर ने कहा, आज के कार्यक्रम का नाम जानबूझकर ‘पाकिस्तान रेप ऑफ कश्मीर’ (pakistan rape of kashmir) रखा गया है। क्योंकि इसमें काले इतिहास की धार है। आज ही के दिन यानी 21 अक्टूबर 1947 को सुबह के समय जब सभी भारतीय नागरिक सो रहे थे, पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। उसके बाद इन जिहादियों ने कश्मीर की जो हालत की उसका एहसास आज 76 साल बाद भी होता है। इसलिए इन काली यादों को मिटाए बिना हर भारतीय के मन में अंकित किया जाना चाहिए। ताकि युवाओं में इस क्रूर हरकत का जवाब देने की भावना प्रबल होती रहे।
जिहादी-आतंकवादी सेना
14 अगस्त 1947 को संयुक्त भारतीय सेना का विभाजन हो गया। चूँकि उस समय सेना में अधिकांश सैनिक मुस्लिम थे, इसलिए एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान को दे दिया गया और बाकी भारत के पास रहा। कुल मिलाकर यह देश की सबसे अनुशासित सेना थी। हालाँकि, पाकिस्तान के स्वतंत्र देश घोषित होने के बाद विभाजित पाकिस्तानी सेना ने ‘जिहादी आतंकवादी सेना’ का रूप धारण कर लिया। इसका भयानकता का उदाहरण तत्कालीन पाकिस्तानी कमांडर द्वारा भेजा गया टेलीग्राम है। ‘सभी सिखों को गोली मार दो, ‘रेप ऑल वुमन’, इसमें दो वाक्य लिखे थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी मानसिकता क्या थी। ये मानसिकता 76 साल में रत्ती भर भी नहीं बदली है। इसके विपरीत जिहाद का स्वरूप और भी तीव्र हो गया है। रणजीत सावरकर ने यह भी कहा कि अगर उन्हें उचित जवाब नहीं दिया गया तो आने वाला समय मुश्किल भरा होगा।
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