इससे अधिक घातक हो जाएंगी भारतीय पनडुब्बियां!

भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान को एआईपी तकनीकी के विकास के लिए फ्रांस ने भी सराहा है। इस तकनीकी को लेकर पाकिस्तान में खलबली है। उसे अपने अगोस्टा 90-बी पनडुब्बी को इस तकनीकी से लैस करने के लिए फ्रांस से सहायता मांगी थी जिसे फ्रांस ने ठुकरा दिया है।

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भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान ने एक और उन्नति का कार्य अपने नाम कर लिया है। संस्थान ने एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्जन (एआईपी) को विकसित कर लिया है। जिसके कारण पनडुब्बियां अब अधिक घातक होंगी।

नौसेना की कलवरी कक्षा की पनडुब्बियों को भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान अब एआईपी तकनीकी से लैस करने की तैयारी में है। इससे इन पनडुब्बियों की समुद्र के भीतर रहने की क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। इससे पनडुब्बी बेहद शांत रूप में पानी के भीतर संचलन करती रहेगी।

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नौसेना की ये है योजना
भारतीय नौसेना ने योजना बनाई है कि वो कलवरी कक्षा की सभी पनडुब्बियों को एआईपी तकनीकी से लैस कर देगी। यह कार्य 2023 तक पूरा होगा। 1615 टन वजनी कलवरी कक्षा की पनडुब्बियों का निर्माण मजगांव डॉक लिमिटेड और फ्रेंच नवल ग्रुप साथ मिलकर कर रहे हैं।

आत्मनिर्भर भारत को मिला बल
एआईपी तकनीकी के विकास से केंद्र सरकार के आत्मनिर्भर भारत के प्रचार को बल मिला है। यह तकनीकी अब तक फ्रांस, अमेरिका, चीन, ब्रिटेन और रूस के पास है। यह तकनीकी फोस्फोरिक एसिड फ्यूल सेल पर आधारित है।

एआईपी तकनीकी क्या है?
एआईपी तकनीकी परमाणु क्षमता रहित पनडुब्बियों को वातारण के ऑक्सीजन के बगैर संचालित होने लायक क्षमता प्रदान करता है। इसके अलावा यह तकनीकी डीजल-इलेक्ट्रिक प्रोपल्जन सिस्टम के जरिये अटैक की क्षमता देता है। इस तकनीकी का लाभ ये है कि इससे लैस पनडुब्बियों को ऊपर आकर अपनी बैटरी चार्जिंग की आवश्यकता नहीं पड़ती। जिसके कारण वे लंबे समय तक पानी में बनीं रहती हैं।

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ये शांति घातक है
एआईपी तकनीकी से लैस पनडुब्बी एकदम शांत रहती है। जबकि परमाणु क्षमता से लैस पनडुब्बी का रियेक्टर कूलेंट पम्प करने के कारण निरंतर ध्वनि उत्पन्न करता है। ऐसा करके पनडुब्बी के अंदर का तापमान नियंत्रित किया जाता है। लेकिन एआईपी लैस पनडुब्बी शांत और मारक क्षमता में अधिक घातक होगी। जो दुश्मन को भांपने का अवसर भी नहीं देगी।

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