वैश्विक मंदी के बाद भी भारत की विकास दर 6.3 प्रतिशत रहेगीः S Jaishankar

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शासनाध्यक्षों को संबोधित करते हुए कहा कि आज विश्व आर्थिक मंदी (financial crisis), बाधित आपूर्ति श्रृंखला, खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस हाल में एससीओ के सदस्य देशों के साथ आपसी सहयोग की जरूरत है।

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 किर्गिस्तान में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शासनाध्यक्षों की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने 26 अक्टूबर को कहा कि वैश्विक मंदी (global recession) के बावजूद भारत की जीडीपी की विकास दर (GDP growth rate) 6.3 फीसदी से अधिक रहेगी।

एससीओ के देशों के साथ आपसी सहयोग की जरूरत
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शासनाध्यक्षों को संबोधित करते हुए कहा कि आज विश्व आर्थिक मंदी (financial crisis), बाधित आपूर्ति श्रृंखला, खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस हाल में एससीओ के सदस्य देशों के साथ आपसी सहयोग की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इन सभी चुनौतियों के बाद भी लचीलापन दिखा रहा है।

भारत-रूस व्यापर में तेज वृद्धि
विदेश मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.3 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि भारत के साथ एससीओ सदस्य देशों के बीच व्यापार में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि इस दौरान भारत-रूस के साथ व्यापर में तेजी से वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि पिछले साल इस संगठन के सभी सदस्य देशों के साथ व्यापार में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसे कई गुना बढ़ने की संभावना है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत स्थायी और पारस्परिक रूप से सदस्य देशों के साथ साझेदारी करने के लिए इच्छुक है। उन्होंने कहा कि हम क्षेत्र के भीतर व्यापार में सुधार करने का प्रयास करते हैं, हमें मजबूत कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। भारत ने अपनी विकासात्मक यात्रा में इन सभी चिजों को सबसे अधिक प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी पहल को हमेशा सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि ग्लोबल साउथ को अपारदर्शी पहलों से उत्पन्न होने वाले अव्यवहार्य ऋण का बोझ नहीं उठाना चाहिए। मुझे विश्वास है कि भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) इस आर्थिक समृद्धि लाने में सहायक बन सकता है। (हि.स.)

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