Navy: समुद्री गश्ती विमान इल्युशिन-38 की विदाई, इतने साल दी सेवा

डीकमीशनिंग समारोह 31 अक्टूबर को आईएनएस हंसा, डाबोलिम में आयोजित किया गया। नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और आईएल-38 स्क्वाड्रन के अनुभवी अधिकारी और नाविक अपने परिवारों के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए और सैनिक सेवा को याद किया।

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नौसेना के इल्युशिन-38 सी ड्रैगन लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान ने देश के लिए 46 साल की शानदार सेवा के बाद 31 अक्टूबर को विदाई ली। विदाई के समय विमान को नौसेना की परंपरा निभाते हुए वाटर सैल्यूट दिया गया। यह विमान आखिरी सार्वजनिक प्रदर्शन के दौरान नई दिल्ली में 2023 के गणतंत्र दिवस के फ्लाईपास्ट में भी शामिल हुआ था। नौसेना ने इनकी जगह पहले ही समुद्री निगरानी और पनडुब्बी रोधी अमेरिकी विमानों पी-8 आई को शामिल किया है।

नौसेना में हवाई लंबी दूरी की समुद्री टोही और पनडुब्बी रोधी युद्ध के आधुनिक युग की शुरुआत के साथ इसे कमीशन किया गया था। दुश्मनों की पनडुब्बियों का शिकार करने के लिए 01 अक्टूबर 1977 को 05 आईएल-38 विमान हवाई बेड़े में शामिल किये गए थे। इनमें से दो विमान 2002 में दुर्घटनाग्रस्त होकर नष्ट हो गए। नौसेना ने आखिरी बचे सबमरीन हंटर ‘आईएनएएस 315’ को आज अलविदा कह दिया। आईएल आखिरी दिन तक उड़ान भर रहा था और लगभग 52 हजार घंटे की उड़ान के साथ 4 दशकों तक राष्ट्र की सेवा के बाद आज रिटायर हो गया। दो विमानों में से एक लोथल के राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय में और दूसरा कर्नाटक के निपानी में तैनात होकर आने वाली पीढ़ियों के वायु योद्धाओं को प्रेरित करेगा।

डीकमीशनिंग समारोह का आयोजन
डीकमीशनिंग समारोह 31 अक्टूबर को आईएनएस हंसा, डाबोलिम में आयोजित किया गया। नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और आईएल-38 स्क्वाड्रन के अनुभवी अधिकारी और नाविक अपने परिवारों के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए और सैनिक सेवा को याद किया। अपनी अद्वितीय क्षमताओं, अद्भुत कौशल और विशाल हिंद महासागर क्षेत्र को कवर करने वाली विस्तारित पहुंच के साथ विमान ने वर्षों से खुद को दुर्जेय साबित किया है। अपने अंतिम चरणों में विमान ने स्वदेशी सहायक एयर ड्रॉपेबल कंटेनर और स्वदेशी टॉरपीडो के माध्यम से ‘आत्मनिर्भर’ क्षमता बढ़ाने में सक्षम बनाया। यह विमान नई दिल्ली में 2023 गणतंत्र दिवस के फ्लाईपास्ट में भी शामिल हुआ था।

अमेरिका से 2012 में सौदा
इस बीच, भारत ने वर्ष 2012 में अमेरिका से 12 पी-8 आई समुद्री निगरानी और पनडुब्बी रोधी विमानों का सौदा 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर में किया। इनमें से 8 टोही विमानों की आपूर्ति 2013 में की गई थी। इसके बाद पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए नौसेना ने 2019 में चार और लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमानों का ऑर्डर बोइंग कंपनी को दिया। धीरे-धीरे करके बोइंग ने फरवरी 2022 तक इन विमानों की भी आपूर्ति कर दी और इस समय नौसेना के पास 12 पी-8 आई का संचालन कर रही है। अब पी-8 आई विमानों का संचालन करने वाला भारत दुनिया का सबसे बड़ा ऑपरेटर बन गया है।

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