शिवसेना (Shiv Sena) में ऊर्ध्वाधर विभाजन (Vertical Divide) के बाद, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) में अजीत पवार (Ajit Pawar) के विद्रोह के कारण एनसीपी दो गुटों में विभाजित हो गई। अजीत पवार ने शरद पवार (Sharad Pawar) का साथ छोड़कर शिवसेना (शिंदे गुट) और भाजपा से हाथ मिला लिया। इसके बाद अजित पवार के साथ आए विधायकों के साथ-साथ अजित पवार ने भी एनसीपी अध्यक्ष अजित पवार के तौर पर प्रचार करना शुरू कर दिया। एनसीपी किसकी है इसकी लड़ाई अब चुनाव आयोग (Election Commission) तक पहुंच गई है। इस मामले में आज चुनाव आयोग के सामने सुनवाई होगी। आज चुनाव आयोग क्या भूमिका निभाएगा? इस मामले पर हर कोई नजर बनाए हुए है। क्या चुनाव आयोग कोई फैसला लेगा या नई तारीख देगा? ये देखना अहम होगा।
किसकी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी?
शिवसेना में सिंबल की लड़ाई के बाद अब चुनाव आयोग में एनसीपी के सिंबल की लड़ाई चल रही है। अब चुनाव आयोग तय करेगा कि ये एनसीपी किसकी है। पार्टी में फूट है या नहीं? इसका फैसला चुनाव आयोग को करना है। शरद पवार गुट का दावा है कि पार्टी में कोई फूट नहीं है, पार्टी हमारी है। माना जा रहा है कि चुनाव आयोग पार्टी के संविधान, विधायकों-सांसदों की संख्या और पदाधिकारियों की संख्या की जांच के बाद फैसला लेगा।
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इस लड़ाई में भी शिवसेना की तरह हलफनामे और दस्तावेजों को लेकर घमासान तेज है। बताया जा रहा है कि पवार ग्रुप की ओर से 8 से 9 हजार दस्तावेज जमा कराए गए हैं। शरद पवार गुट ने यह भी दावा किया है कि दस्तावेज अजित पवार गुट से भी ज्यादा हैं। पवार गुट की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी चुनाव आयोग के सामने अपना पक्ष रख रहे हैं।
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