पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने कुत्तों के काटने के मामले में बड़ा फैसला देते हुए पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ को निर्देश जारी किया है कि डॉग बाइट केसों में पीडि़तों को मुआवजा दिया जाए। हाई कोर्ट ने इसके साथ ही इस मामले से संबंधित अलग-अलग 193 याचिकाओं का भी निपटारा कर दिया। 14 नवंबर को हाई कोर्ट के जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज ने यह फैसला सुनाया है।
मुआवजों का निर्धारण के लिए समिति गठित करने का निर्देश
इस मामले में पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ की सरकारों व प्रशासन ने कुत्तों के काटने के मामलों को लेकर हाई कोर्ट में स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने 193 याचिकाओं का निपटारा करते हुए पंजाब व हरियाणा राज्यों के अलावा चंडीगढ़ प्रशासन को इस तरह के मुआवजों का निर्धारण करने के लिए समितियां बनाने के लिए कहा है। यह समितियां संबंधित जिलों के उपायुक्तों की अध्यक्षता में गठित की जाएंगी। हाई कोर्ट ने डॉग बाइट केसों के बढऩे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इन समितियों को एप्लिकेशन के रिसीव होने व जांच के बाद चार महीनों के अंदर मुआवजा राशि देना होगा।
राज्य होगा जिम्मेदार
फैसले में कहा गया है कि राज्य मुख्य रूप से मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार होगा। साथ ही राज्य को डिफॉल्ट एजेंसियों, उपकरणों या निजी व्यक्ति से इसकी वसूली करने का अधिकार भी होगा। जस्टिस एस. भारद्वाज ने कहा कि पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं, मृत्यु व डॉग बाइट केस इस कदर बढ़ गए हैं कि अब इन मामलों को कोर्ट के समक्ष पेश किया जा रहा है।
10 हजार प्रति दांत न्यूनतम मुआवजा
हाई कोर्ट के आदेश में समितियों को रिसीव होने वाली एप्लिकेशन पर कितना मुआवजा देना है, के बारे में भी स्पष्ट कर दिया है। इस अनुसार कुत्ते के काटने से संबंधित मामलों में वित्तीय सहायता न्यूनतम दस हजार रुपये प्रति दांत के निशान पर होगी। अगर कुत्ता किसी शिकायतकर्ता का मांस नोंच लेता है तो प्रति 0.2 सेंटीमीटर घाव के लिए मुआवजा न्यूनतम 20 हजार रुपये होगा। हाई कोर्ट ने शिकायत मिलने पर पुलिस को भी डीडीआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। पुलिस अधिकारी किए गए दावे की जांच करेगा और गवाहों के बयान दर्ज करेगा। घटनास्थल का रिपोर्ट तैयार करेगा। रिपोर्ट की कॉपी दावेदार को भी दी जाएगी।