दक्षिण भारत के 10 मंदिर और उनकी विशेषताएं, जहां बार-बार चाहेंगे जाना

दक्षिण भारत के प्रसिद्ध और भव्य मंदिरों में से एक श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है । इसे तिरूपति बालाजी मंदिर या वेंकटेश्वर मंदिर, तिरूपति के नाम से जाना जाता है।

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दक्षिण भारत में कई ऐसे प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो अपनी खास विशेषताओं के लिए धर्मानुरागियों के लिए हमेशा आकर्षक के केंद्रॅ बने रहते हैं।

1- मीनाक्षी मंदिर (Meenakshi Temple)
दक्षिण भारत के तमिलनाडु के मदुरई नगर, में स्थित मीनाक्षी मंदिर (Meenakshi Temple) भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस मंदिर को तमिल भाषा के गृहस्थान 2500 वर्ष पुराने मदुरई नगर की जीवनरेखा बताया जाता है । हिन्दु पौराणिक कथानुसार भगवान शिव सुन्दरेश्वरर रूप में अपने गणों के साथ पांड्य राजा मलयध्वज की पुत्री राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह रचाने मदुरई नगर में आये थे। मीनाक्षी को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। इस मन्दिर को देवी पार्वती के सर्वाधिक पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है।

2- तिरूपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Temple)
दक्षिण भारत के प्रसिद्ध और भव्य मंदिरों में से एक श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है । इसे तिरूपति बालाजी मंदिर या वेंकटेश्वर मंदिर, तिरूपति के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि मंदिर का निर्माण 300 ईस्वी में शुरू हुआ था। इस मंदिर के बाबत सबसे एक महत्वपूर्ण बात यह है कि यह मंदिर भक्तों द्वारा प्राप्त दान के मामले में, दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है । मंदिर का एक समृद्ध इतिहास और वास्तुकला की शानदार द्रविड़ शैली है।

3- रामेश्वरम (Rameshwaram)
देश के बारह पवित्र ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक रामेश्वरम मंदिर भी है। साथ ही इसे चार तीर्थयात्राओं में भी यह एक धाम है। तमिलनाडु में रामेश्वरम द्वीप पर स्थित, रामनाथस्वामी मंदिर भगवान शिव को समर्पित है । ऐसा कहा जाता है कि श्री राम जी ने यहां भगवान शिवजी से प्रार्थना की थी।

4- विरूपाक्ष मंदिर (Virupaksha Temple)
कर्नाटक राज्य के हम्पी में विरूपाक्ष मंदिर तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल है। यहां भगवान शिव के विरुपाक्ष रूप की पूजा की जाती है। इस मंदिर के पास छोटे-छोटे और मंदिर हैं जो कि अन्य देवी देवताओं को समर्पित हैं। हम्पी को ही रामायण काल का किष्किन्धा माना जाता है । इस मंदिर की मुख्य विशेषता यहां का शिवलिंग है, जो दक्षिण की ओर झुका हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण जब शिवजी के दिए हुए शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था तो यहां पर रुका था। उसने इस जगह एक बूढ़े आदमी को शिवलिंग पकड़ने के लिए दिया था। उस बूढ़े आदमी ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया, तब से वह शिवलिंग यहीं जम गया और लाख कोशिशों के बाद भी हिलाया नहीं जा सका।

5- ऐरावतेश्वर मंदिर (Airavatesvara Temple)
ऐरावतेश्वर मंदिर कुंभकोणम के पास दारासुरम शहर में स्थित है। यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर है। ऐरावतेश्वर मंदिर 12 वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था। भगवान शिव को समर्पित, इस मंदिर का नाम इंद्र के सफेद हाथी ऐरावत से लिया गया है। यह मंदिर अपनी उत्कृष्ट पत्थर की नक्काशी के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

6- ऐहोल (Aihole)
कर्नाटक में स्थित एहोल मंदिर को “हिंदू रॉक वास्तुकला का उद्गम स्थल” भी कहा जाता है। एहोल के प्रसिद्ध मंदिरों में दुर्गा मंदिर और लाड खान मंदिर शामिल हैं। पट्टडकल नागर और द्रविड़ शैली के मिश्रण का अनुसरण करता है।

7- विट्ठल मंदिर (Vitthal Temple)
भगवान विष्णु को समर्पित विट्ठल मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और भव्यता के लिए अपनी एक अलग पहचान रखता है।मंदिर का एक अन्य आकर्षण अखंड और विशाल पत्थर-रथ है। यह अपने संगीतमय स्तंभों के लिए प्रसिद्ध।

8- सुचिन्द्रम मंदिर (Suchindram Temple)
कन्याकुमारी का 17 वीं शताब्दी में निर्मित सुचिन्द्रम मंदिर वास्तुशिल्प चमत्कारों का एक और शानदार उदाहरण है। मंदिर में त्रिमूर्ति, ब्रह्मा-विष्णु-महेश का प्रतिनिधित्व करता चार संगीत स्तंभ, लटकता हुआ स्तंभ और एकल लिंग हैं। मंदिर से अनसूया और अहल्या की किंवदंतियाँ जुड़ी हुई हैं।

9- अय्यप्पा मंदिर (Ayyappa Temple)
भगवान अयप्पा को समर्पित सबरीमाला मंदिर अपनी धार्मिकता के साथ-साथ सांस्कृतिक रूप में भी महत्वपूर्ण है। यहां भारी संख्या में तीर्थयात्रियों का आना होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यहां हर साल 100 मिलियन से अधिक भक्त आते हैं।

10- गुरुवयूर मंदिर (Guruvayoor Temple)
केरल के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है गुरुवयूर श्री कृष्ण मंदिर । दक्षिण भारत के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक गुरुवयूर में इष्टदेव भगवान विष्णु के बालकृष्ण अवतार में पूजा की जाती है। भगवान की मूर्ति चार हाथों से सुशोभित है, जिनमें से प्रत्येक में एक शंख, एक गदा, एक चक्र और एक कमल है और उन्हें उन्नीकृष्णन के नाम से भी जाना जाता है।

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