पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में गुरुवार को दिनदहाड़े गोली मारकर एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई है। पुलिस ने कहा कि मृतक की पहचान मिथुन सरदार के रूप में की गई है और उसकी हत्या जिले के डायमंड हार्बर में उसकी बड़ी साली के ससुराल के आवास के सामने की गई थी।
यह घटनाक्रम तृणमूल कांग्रेस नेता सैफुद्दीन लश्कर की 13 नवंबर को एक सड़क पर अज्ञात बदमाशों द्वारा नजदीक से गोली मारकर हत्या किए जाने के ठीक 72 घंटे बाद सामने आया। इस घटना के बाद लोगों ने पीट-पीट कर एक व्यक्ति को मौत के घाट उतार दिया था। लश्कर की हत्या के बदले की कार्रवाई के रूप में, हिंसक भीड़ ने 12 घरों को आग लगा दी, जो सभी सीपीआई (एम) कार्यकर्ताओं के थे।
आपसी रंजिश हो सकता है कारण
16 नवंबर को डायमंड हार्बर गोलीबारी के मामले में पता चला है कि मिथुन सरदार का जमीन को लेकर साली के पति जगन्नाथ मंडल और उनके छोटे भाई अजय मंडल से विवाद था।
करीब से मारी गोली
यह पता चला है कि जब गुरुवार को जगन्नाथ मंडल का अजय मंडल और उनके बेटे परेश मंडल के साथ विवाद हुआ, तो पीड़ित ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की। हालांकि, प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया है कि हस्तक्षेप से अजय मंडल और परेश मंडल और गुस्सा हो गए। इसके बाद अचानक परेश ने बंदूक निकाली और पीड़ित को बहुत करीब से गोली मार दी। मौके पर ही उसकी मौत हो गई है। अजय मंडल और परेश मंडल मौके से भाग निकले। पुलिस ने शव बराबर कर जांच शुरू कर दी है।
भाजपा ने बोला हमला
महानगर कोलकाता के अमहर्स्ट स्ट्रीट थाने में एक व्यक्ति की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या को लेकर भाजपा नेता दिलीप घोष ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि बंगाल में पुलिस सरकार के नियंत्रण में नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि पुलिस रुपये की वसूली कर उसका हिस्सा तृणमूल कांग्रेस के फंड में देती है जिसकी वजह से उन्हें खुली छूट दी गई है।
ममता राज में वसूली पुलिस
16 नवंबर को न्यू टाउन के इको पार्क में मॉर्निंग वॉक करने पहुंचे दिलीप घोष ने कहा कि बंगाल में पुलिस का काम काफी विवादित हो रहा है। माकपा के शासन में पुलिस का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन ममता के शासन में तो पुलिस ही सब कुछ कर रही है। रुपये वसूलने से लेकर सब कुछ तृणमूल के लिए पुलिस करती है। विपक्ष का सफाया करना हो या कुछ भी गैरकानूनी करना हो तो तृणमूल कार्यकर्ता के तौर पर पुलिस ही काम कर रही है। उन्होंने कहा कि जहां लोग मॉब लिंचिंग कर रहे हैं वहां पुलिस का आता पता नहीं है। जहां गोली चलती है वहां पुलिस खड़ा-खड़ा तमाशा देखती हैं।
इधर कोलकाता में किसी का मोबाइल चोरी हो गया तो पुलिस केवल संदेह के आधार पर एक व्यक्ति को बुलाकर पीट-पीट कर मौत के घाट उतार रही है। उन्होंने पूछा है कि क्या पुलिस ने मानवता खो दी है या इसके पीछे कोई रहस्य है?
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