मुरादाबाद में 17 नवंबर को कई स्थानों पर नहाय खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हुई। चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन महिलाओं ने विधि विधान से प्रसाद तैयार किया और छठी मैया का पूजन किया।
17 नवंबर को चार दिवसीय महापर्व छठ के पहले दिन व्रती महिलाओं ने स्नान कर नए कपड़े धारण किए। विधि-विधान से पूजा के बाद चला दाल, कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया। व्रती के भोजन करने के बाद परिवार के बाकी सदस्यों ने भोजन किया। नहाय खाय में व्रती महिलाओं ने छठ पूजा के गीत कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए, करेली छठ बरतिया से उनखे लागी आदि गाए।
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ऐसी है मान्यता
मुरादाबाद में लंबे समय से रह रही बिहार के मुंगेर जनपद निवासी शीला सिंह ने बताया कि इसकी शुरुआत सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने की थी। वह भगवान सूर्य के परम भक्त थे और रोज घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे। इस व्रत में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। कई वर्षों से छठ पूजन कर रही हूं। मेरी सास ने मुझे पूजन की परंपरा सौंपी थी। उन्होंने दीपावली की खरीदारी के साथ ही छठ पूजा की खरीदारी कर ली थी। यह व्रत पीढ़ी दर पीढ़ी सास अपनी बहू को देती है।