Chhath: लोक आस्था का महापर्व खरना के पश्चात छठव्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू

हर घर गली मोहल्ले चौक चौराहे पान दुकान इलेक्ट्रॉनिक दुकान पर छठी मैया के गीत पूरे माहौल को भक्तिमय बना रहे हैं।

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लोक आस्था का महापर्व छठ को लेकर बिहार के सहरसा जिले में माहौल भक्तिमय बन गया है। आस्था श्रद्धा एवं नियम निष्ठा के महापर्व छठ के दूसरे दिन शनिवार की रात खरना व्रत का महाप्रसाद खाने के साथ ही व्यक्तियों की लगातार 36 घंटे का निर्जल आहार व्रत शुरू हो गया। अब व्रति सोमवार को उगते सूरज को अर्घ देने के बाद पहले पूजा अर्चना करेगी। तत्पश्चात प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पालन करेगी। नियम निष्ठा वाले इस पर्व मे परिवार को हर पल खास ख्याल रखना होता है।शुद्धता और सफाई पर्व की पहचान होती है।

सूर्य उपासना का पर्व
सूर्य उपासना के इस महान पर्व के प्रति लोगों की काफी आस्था है। छठव्रती नैना सरकार, अमरीका देवी, बिजली देवी, पूनम देवी ,शालिनी सिंह, खुशबू देवी, लक्ष्मी देवी , शांति देवी, उषा देवी और काजल देवी एवं गांधी पथ निवासी सुशील कुमार गुप्ता की माता ने बताया इस पर्व मे मिट्टी से बने चूल्हे पर आम की लकड़ी से महा खरना का प्रसाद बनाया गया। पर्व को लेकर पूरा क्षेत्र मे छठी मैया के गीतों से गुंजायमान हो रहा है। शारदा सिन्हा के अलावे मैथिली के गायक संजीव कश्यप, मैथिली ठाकुर,अपूर्वा प्रियदर्शी जैसे गायिकाओं के गाए छठ गीतों से पूरा वातावरण भक्ति में बन गया है।

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ऐसी है प्रथा
हर घर गली मोहल्ले चौक चौराहे पान दुकान इलेक्ट्रॉनिक दुकान पर छठी मैया के गीत पूरे माहौल को भक्तिमय बना रहे हैं। छठव्रतियों ने बताया कि खरना के मौके पर खीर के अलावे छठी मैया को चढ़ने वाली चपाती की भी तैयारी पूरी कर ली गई है। पर्व की निमित्त खरीदे गए गेहूं को व्रती महिलाओं ने नहाए खाए कि दिन शुक्रवार को ही धोकर सुखा लिया। शनिवार को धुले हुए आटा चक्की मिलन पर गेहूं की पिसाई कराई गई।इसके अलावे खरना के प्रसाद में चढ़ाए जाने वाले खीर पुरी,केला,नारियल, शकरकंद, पत्ते वाली हल्दी, अदरक, नाशपाती,टाब नींबू,पान सुपारी,आरती पत्ता, सिंदूर,कपूर, कुमकुम,सुथनी,गन्ना, फूल एवं दूध से सूर्य उपासना की जाती है।ज्ञात हो कि आज संध्या कालीन एवं सोमवार की सुबह प्रातः कालीन अर्घ्य के साथ ही इस पर्व का समापन होगा। वही संपूर्ण मिथिला क्षेत्र में भाई बहन के अटूट प्रेम पर आधारित सामा चकेवा पर्व के लिए घाट से ही मिट्टी लिया जाता है।वही कार्तिक पूर्णिमा के दिन सामा चकेवा पर्व का समापन होता है।

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