India International Fair: महाराष्ट्र के इन स्थानीय उत्पादों की जोरदार मांग

इस वर्ष महाराष्ट्र भवन को वसुदेव कुटुंबकम-व्यापार में एकता की केंद्रीय अवधारणा के इर्द-गिर्द सजाया गया है।

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India International Fair: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से भारतीय उद्योग संवर्धन संगठन (ITPO) की ओर से हर साल 14 से 27 नवंबर के बीच देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) के प्रसिद्ध प्रगति मैदान (Pragati Maidan) में इंडिया इंटरनेशनल फेयर का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष महाराष्ट्र भवन को वसुदेव कुटुंबकम-व्यापार में एकता की केंद्रीय अवधारणा के इर्द-गिर्द सजाया गया है।

महाराष्ट्र भवन में लगे हैं 48 स्टॉल
महाराष्ट्र भवन (Maharashtra Bhavan) में कुल 48 स्टॉल लगाए गए हैं। इनमें कोल्हापुरी चप्पल (Kolhapuri slippers), गुड़, मसाले, सांगली हल्दी, किशमिश, चटाइयाँ, महाबलेश्वर शहद, नागपुर संतरे, पैठणी पर्स, नंदुरबार मसाले, पापड़ और चटनी, सोलापुर टेरी तौलिए, धारावी चमड़े के बैग, माथेरान चप्पल, घर की सजावट के सामान और हाथ की पेंटिंग शामिल हैं। समूहों और महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित विभिन्न सामान आदि को प्रदर्शन और बिक्री के लिए रखा गया है।

महिलाओं को दिए रोजगार के अवसर
सांगली के बापूसो शामराव चव्हाण ने अपने शोरूम में सभी प्रकार के जूट मैट, वॉल हैंगिंग, लेटर बॉक्स, बस्तर, शतरंज, टेबल मैट आदि बिक्री के लिए रखे हैं। मेले में मिल रहे रिस्पॉन्स के बारे में चव्हाण का कहना है कि उनके प्रोडक्ट को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। कोलकाता जाने के बाद चव्हाण ने जूट से बने उत्पादों के बारे में सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त की और उसके बाद उन्होंने खानबाग में चटाई बनाना शुरू कर दिया। वर्तमान में उनके चरक स्वस्थ बहुउद्देश्यीय संस्थान के माध्यम से 60 महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है और 30 महिलाएं प्रशिक्षण के बाद पूर्णकालिक रूप से जूट से विभिन्न उत्पाद बना रही हैं। इस अवसर पर चव्हाण ने कहा कि महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराकर वे संतुष्ट हैं।

खुद तैयार किए 1000 किग्रा मसाले
मेले में कोल्हापुर के ‘वार्न मसाला’ का स्टॉल लगाया गया है। मीना वर्ने ने इस संस्था की देखरेख में स्वयं द्वारा तैयार किये गये विभिन्न प्रकार के मसालों को बिक्री के लिए रखा है। यह बताते हुए कि मेले में भाग लेने से पहले उन्होंने लगातार 10 दिनों तक दिन-रात काम करके 1000 किलोग्राम मसाले तैयार किए, उन्हें लगता है कि इन मसालों का असली स्वाद है। उन्होंने कहा कि बेटा इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद भी अपनी मां की मदद कर रहा है। वर्ने ने कहा कि के पुत्र के सहयोग से वे राजधानी तक पहुँची हैं और माल को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।

इस हॉल में महाराष्ट्र राज्य खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा एक उत्सव का आयोजन भी किया गया है। इसमें मुख्य रूप से जैविक शहद बेचा जाता है। संजय पाटिल ने बताया कि शहद संग्रहण का प्रशिक्षण सभी स्वदेशी प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके प्रदान किया जाता है और यह रोजगार सृजन की काफी संभावनाओं वाला उद्योग है।

मेले का खास आकर्षण कोल्हापुरी चप्पल
कोल्हापुर की मशहूर कोल्हापुरी चप्पल मेले का खास आकर्षण बन रही है। इस गाला की सेविका मनीषा डोईफोडे ने अपने ‘रोहित फुटवियर स्टॉल’ में विभिन्न प्रकार की कोल्हापुरी चप्पलें रखी हैं और इस स्टॉल पर काफी लोग देखे जा सकते हैं।

हस्तशिल्प को मिल रही अच्छी प्रतिक्रिया
नागपुर में ‘माउली क्रिएशन्स’ स्टॉल पर मृणाल दानी और अस्मिता ने पैठानी के आकर्षक पर्स, हैंड बैग, साड़ी, दुपट्टे, डायरी जैसी चीजें बिक्री के लिए रखी है। उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि वह पहली बार इतने बड़े और अंतरराष्ट्रीय मेले में भाग ले रही हैं और उनके हस्तशिल्प को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और उन्होंने इस मेले में फिर से भाग लेने की उम्मीद जताई।

यह भावना व्यक्त करते हुए कि महाराष्ट्र सरकार ने देश की राजधानी में एक हॉल स्थापित करके राज्य के ग्रामीण उद्यमियों को एक बड़ा अवसर प्रदान किया है, सभी भाग लेने वाले कारीगरों ने सरकार को धन्यवाद दिया और आशा व्यक्त की कि राज्य सरकार भविष्य इसमें अवसर प्रदान करेगी।

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