कार्तिक पूर्णिमा पर रविवार मध्यरात्रि गंगा की महाआरती के साथ ही लोगों ने आस्था की डुबकी लगानी शुरू कर दी। सोमवार सुबह गंगा के विभिन्न घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। लोगों ने नदी में स्नान के बाद महर्षि भृगु व बाबा बालेश्वरनाथ समेत विभिन्न मंदिरों में दर्शन-पूजन भी किया।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महर्षि भृगु के शिष्य दर्दर मुनि की स्मृति में लगने वाले ददरी मेला अब लोक आस्था से जुड़ा जिले का सबसे बड़ा पर्व का रूप ले चुका है। गंगा व सरयू के संगम स्थल पर एक महीने तक कल्पवास की भी मान्यता है। इसी बीच कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने की भी परंपरा है।
रविवार को गंगा व तमसा के संगम पर शिवरामपुर घाट पर जिला प्रशासन ने महाआरती का आयोजन किया। राज्यसभा सांसद नीरज शेखर, डीएम रवींद्र कुमार व एसपी एस आनंद की उपस्थिति में काशी से आए पंडितों ने गंगा की आरती की। आरती के साथ ही गंगा की जलधारा पर हजारों दिए जलाए गए जो आकाशगंगा की तरह मनोहारी लग रहे थे। वहीं, वहां मौजूद हजारों स्त्री-पुरुषों ने गंगा में आस्था की डुबकी भी लगानी शुरू कर दी।
छह जोन व सोलह सेक्टर में बांटा गया है।
महास्नान को देखते हुए जिला प्रशासन ने शहर से गंगा घाट तक सुरक्षा के काफी बंदोबस्त किए हैं। पूरे मेला क्षेत्र को छह जोन व सोलह सेक्टर में बांटा गया है। हजारों पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। स्पेशल ट्रेनें व बसें चलाई जा रही हैं। शहर से लेकर गंगा के विभिन्न घाटों तक शिविर लगाए गए हैं। रविवार शाम से ही गंगा के शिवरामपुर व अन्य घाटों की ओर लोगों के जाने का सिलसिला शुरू हो गया था। घाटों की ओर पैदल व ई रिक्शा से लोग जाते दिखाई दिए। इन सबके बीच सोमवार तड़के से ही गंगा व सरयू के अलग-अलग घाटों पर लोग स्नान करते दिखाई दिए। लोगों ने स्नान के साथ दान कर पुण्य कमाए।