भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) की आज 39वीं बरसी है। वर्ष 1984 की इस त्रासदी (Tragedy) को कोई नहीं भूल सकता। भारत (India) के इतिहास में यह काला दिन (Black Day) है। भोपाल (Bhopal) में कीटनाशक बनाने के लिए इस ‘यूनियन कार्बाइड’ (Union Carbide) नामक अमेरिकी फैक्ट्री की स्थापना की गई थी। जब फैक्ट्री शुरू हुई तो भोपाल के लोगों को लगा कि अब उनके जीवन में खुशहाली के दिन आएंगे और फैक्ट्री की वजह से उन्हें रोजगार के अवसर मिलेंगे। लेकिन 2 और 3 दिसंबर की दरम्यान की रात एक जोरदार धमाके ने पूरे भोपाल को हिलाकर रख दिया। इस धमाके ने ऐसे जख्म दिए, जिसका इलाज आज भी हजारों परिवार तलाश रहे हैं, लोगों के जले हुए दामन उस आज भी त्रासदी के गवाह हैं। 2-3 दिसंबर की उस काली रात को यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकली करीब 40 टन जहरीली एमआईसी गैस (Poisonous MIC Gas) ने तबाही मचा दी थी।
भोपाल गैस त्रासदी की रविवार को 39वीं बरसी है। इससे एक दिन पहले शनिवार को गैस पीड़ितों से जुड़े संगठनों ने मशाल रैली और श्रद्धांजलि सभा की। गैस पीड़ित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के सामने बने स्मारक पर एकत्र हुए और मृतकों को श्रद्धांजलि भी दी।
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भोपाल के लोग आज भी त्रासदी को याद कर कांप उठते हैं
वह रात बहुत भयानक थी। प्रदेश की राजधानी में इस वजह से हर तरफ हंगामा मच गया। लोग अपने घरों से निकलकर इधर-उधर भाग रहे थे। कहीं लाशों का डेरा था, कहीं चीख-पुकार थी तो कहीं कोई रो रहा था। जिन लोगों ने उस रात यह सब देखा था, वे आज भी उस त्रासदी को याद कर कांप उठते हैं।
कैसे हुई त्रासदी
ये पूरा हादसा फैक्ट्री मैनेजर की वजह से हुआ, जिनका नाम था वॉरेन एंडरसन। उन्होंने सुरक्षा में बेहद लापरवाही बरती, जिसके कारण पानी और अन्य पदार्थ खदान के भंडारण टैंक में प्रवेश कर गए और हिंसक प्रतिक्रिया शुरू हो गई। इससे निकले पदार्थ जहरीली गैस के रूप में बाहर निकले, जो हवा में फैल गए। इसकी चपेट में भोपाल के करीब 40…. वर्ग मीटर क्षेत्र आ गया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, गैस से शहर में 15,000 लोगों की मौत हो गई और लाखों लोग घायल हो गए।
न्याय की लड़ाई अभी भी जारी है
भोपाल गैस त्रासदी के जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने के लिए मामला अभी भी अदालतों में लंबित है। सुनवाई की अगली तारीख 6 जनवरी दी गई है। ऐसा 39 साल में पहली बार हुआ जब आरोपी कंपनी के प्रतिनिधि अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट में पेश हुए। इसके लिए उन्हें सात बार समन भेजा गया। कंपनी के प्रतिनिधियों का तर्क है कि यूनियन कार्बाइड एक अमेरिकी कंपनी है। उनके खिलाफ भारतीय अदालत में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
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