शारदीय नवरात्रि में जानें घटस्थापन का महत्व, शुभ मुहूर्त और सामग्री

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नवरात्रि में घटस्थापना का बहुत महत्व होता है। नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से की जाती है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित किया जाता है। घटस्थापना प्रतिपदा तिथि के पहले एक तिहाई हिस्से में कर लेनी चाहिए। इसे ‘कलश स्थापना’ भी कहते हैं।
कलश को सुख- समृद्धि, ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु, गले में रुद्र, मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। नवरात्रि के समय ब्रह्मांड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदादायक तरंगें नष्ट हो जाती हैं तथा घर में सुख-शांति तथा समृद्धि बनी रहती है।
शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर 2020 से प्रारंभ होने जा रही है। आइए जानते हैं कि नवरात्रि में घट स्थापना एवं अखंड ज्योति प्रज्ज्वलन का शुभ मुहूर्त…

नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त-

1. अभिजित मुहूर्त
– अपराह्न 11:41 मिनट से 12:27 मिनट तक।

2. दिवस मुहूर्त-
– प्रात: 7:45 मिनट से 9:11 मिनट तक
– प्रात: 12:00 बजे से 4:30 मिनट तक।

3. सायंकालीन मुहूर्त-
– सायं 6:00 बजे से 7:30 मिनट तक।

4. रात्रिकालीन मुहूर्त-
– रात्रि 9:00 बजे से 12:04 मिनट तक।

किन लग्नों में करें घट स्थापना-
देवी पूजा में शुद्ध मुहूर्त एवं सही व शास्त्रोक्त पूजन विधि का बहुत महत्व है। शास्त्रों में विभिन्न लग्नानुसार घट स्थापना का फल बताया गया है->

शुभ लग्न-
(1) 1-मेष लग्न – धनलाभ- समय- 6:07 मिनट से 7:44 मिनट तक।
(2) 4-कर्क लग्न- सिद्धि- समय-11:57 मिनट से 2:12 मिनट तक।
(3) 6-कन्या लग्न- लक्ष्मी प्राप्ति- समय- सुबह 4:29 से 6:44 मिनट तक।
(4) 7-तुला लग्न- ऐश्वर्य प्राप्ति- समय- 6:44 मिनट से 9:02 मिनट तक।
(5) 8-वृश्चिक लग्न- धनलाभ- समय- 9:02 मिनट से 11:19 मिनट तक।
(6) 10-मकर लग्न- पुण्यप्रद- समय-1:24 मिनट तक। 3:09 मिनट तक।
(7) 11-कुंभ लग्न- धन-समृद्धि की प्राप्ति- समय- 3:09 मिनट से 4:40 मिनट तक।

घटस्थापना की सामग्री : जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र, यह वेदी कहलाती है। जौ बोने के लिए शुद्ध साफ की हुई मिट्टी जिसमें कंकर आदि न हो।

पात्र में बोने के लिए जौ (गेहूं भी ले सकते हैं), घटस्थापना के लिए मिट्टी का कलश (सोने, चांदी या तांबे का कलश भी ले सकते हैं।), कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल, रोली, मौली, इत्र व पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी, दूर्वा, कलश में रखने के लिए सिक्का (चांदी या सोने का सिक्का भी रख सकते हैं), पंचरत्न (क्षमता अनुसार : हीरा, नीलम, पन्ना, माणक और मोती), पीपल, बरगद, जामुन, अशोक और आम के पत्ते (सभी न मिल पाए तो कोई भी 2 प्रकार के पत्ते ले सकते हैं), कलश ढंकने के लिए ढक्कन (मिट्टी का या तांबे का), ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल, नारियल, लाल कपड़ा, फूल माला, फल तथा मिठाई, दीपक, धूप, अगरबत्ती आदि लें।

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