मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़(Madhya Pradesh, Rajasthan and Chhattisgarh) को फतह करने के बाद भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व का फोकस(Focus of BJP central leadership) अब बिहार, झारखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे हिन्दी पट्टी वाले राज्य पर है, जहां भाजपा सत्ता में नहीं है। 2024 में लोकसभा चुनाव के बाद झारखंड विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) का तीन राज्यों को भेदने के बाद अगला लक्ष्य झारखंड(Next target Jharkhand) है।
यही कारण है कि यहां पर पार्टी आदिवासी नेताओं(Tribal leader) को आगे बढ़ा रही है। तीन राज्यों में भारी बहुमत पाने के बाद दो राज्यों मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री चुनने के लिए इन राज्यों के दो नेताओं अर्जुन मुंडा और आशा लकड़ा को अहम जिम्मेदारी मिली है। उन्हें पर्यवेक्षक बनाया गया है। तीन राज्यों में कुल नौ पर्यवेक्षक बनाए गए हैं, जिसमें दो आदिवासी चेहरा झारखंड से ही हैं। भाजपा के इसी फैसले से झारखंड की अहमियत समझी जा सकती है। इतना ही नहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के इस्तीफे(Resignation of Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) के बाद कृषि मंत्रालय का कार्यभार भी केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा को दिया गया है।
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दोनों राज्यों में काफी समानताएं
झारखंड और छत्तीसगढ़ दोनों राज्य एक साथ 2000 में अस्तित्व में आए। दोनों राज्यों में काफी हद तक समानताएं हैं। आदिवासी बहुल और खनिज संपदा से संपन्न दोनों राज्याें में समस्याएं भी कमोबेश एक ही नक्सलवाद है। छत्तीसगढ़ में 33 प्रतिशत आदिवासी हैं तो झारखंड में 27 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है।छत्तीसगढ़ में एसटी के लिए 29 सीट आरक्षित हैं तो झारखंड में 28 सीटें। दोनों ही राज्यों के बीच बेटी-रोटी का रिश्ता है। इसलिए माना जाता है छत्तीसगढ़ में राजनीति का असर झारखंड में भी पड़ता है। अब जब छत्तीसगढ़ में भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता छीन ली है, तो प्रधानमंत्री मोदी का अगला निशाना झारखंड होगा।
विकसित भारत संकल्प यात्रा की शुरूआत
झारखंड स्थापना दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री झारखंड दौरे पर आए थे। इस दौरान भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू भी गए थे, जहां उन्होंने विकसित भारत संकल्प यात्रा की शुरूआत की। विकसित भारत संकल्प यात्रा के साथ यहां से कई योजनाओं की शुरूआत हुई। झारखंड दौरे के दौरान प्रधानमंत्री बिरसा मुंडा संग्रहालय भी गए, जहां भगवान बिरसा ने अंतिम सांस ली थी। झारखंड को प्रधानमंत्री मोदी का लॉन्चिंग पैड भी कहा जाता है। यहीं से प्रधानमंत्री ने आयुष्मान भारत योजना को भी लॉन्च किया था। भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप मनाने की घोषणा मोदी पहले की कर चुके हैं।
छत्तीसगढ़ में ऐसी थी रणनीति
छत्तीसगढ़ चुनाव में एक दर्जन से अधिक भाजपा नेताओं को चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसमें कई विधायक भी शामिल हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने 10 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी, जिसमें से आठ पर जीत मिली। राजमहल से विधायक अनंत ओझा ने 14 सीटों पर काम किया था, जिसमें सभी सीटों पर जीत हासिल हुई है। ऐसे में माना जा सकता है कि जिस तरह से झारखंड के भाजपा नेताओं का प्रभाव दिखा है, उसी तरह से छत्तीसगढ़ में भाजपा की जीत का असर झारखंड पर भी पड़ेगा।
बढ़ रहा है भाजपा का कद
रांची की पूर्व मेयर आशा लकड़ा का भाजपा में लगातार कद बढ़ रहा है। आशा लकड़ा वर्तमान में नड्डा की टीम की सदस्य हैं। उन्हें राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेवारी मिली हुई है। फिलहाल उन्हें मध्य प्रदेश का पर्यवेक्षक बनाया गया है। इससे पहले आशा लकड़ा अमेठी में स्मृति ईरानी के साथ काम कर चुकी हैं। झारखंड एक आदिवासी राज्य है। यहां भाजपा के पास दो बड़े आदिवासी चेहरे हैं, एक बाबूलाल मरांडी और दूसरे अर्जुन मुंडा। बाबूलाल मरांडी को प्रदेश की कमान सौंपकर भाजपा परिस्थितियों को अपने पक्ष में करने में जुटी है।भाजपा भविष्य को देखते हुए एक महिला चेहरे के तौर पर आशा लकड़ा को भी आगे बढ़ा रही है। आशा लकड़ा एक तेजतर्रार और मुखर नेता हैं। भाजपा की नीतियां और राष्ट्रवाद को लेकर भी काफी मुखर रहीं हैं।
झारखंड को लेकर बड़े फैसले
भाजपा ने पिछले कुछ महीनों में झारखंड को लेकर कई बड़े फैसले लिए हैं। यहां पर सवर्ण प्रदेश अध्यक्ष को हटाकर आदिवासी नेता बाबूलाल मरांडी को प्रदेश में पार्टी का मुखिया बनाया गया। एक दलित नेता अमर बाउरी को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेवारी दी गई। गुटबाजी को दरकिनार करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को सक्रिय राजनीति से अगल कर ओडिशा का राज्यपाल बनाया गया।
अब झारखंड पर नजर
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व की सीधी नजर झारखंड पर है। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान के आदिवासी इलाकों में सुरक्षित सीटों पर भाजपा की प्रभावी जीत ने उसकी उम्मीदें जगा दी हैं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी इन नतीजों के मायने हैं। छत्तीसगढ़ की 29 एसटी सीटों पर भाजपा ने 16 पर और कांग्रेस ने 12 सीटों पर जीत हासिल की है जबकि पिछले चुनाव में कांग्रेस के खाते में 27 सीटें आई थीं।
झारखंड में सियासी हलचल तेज
जाहिर है छत्तीसगढ़ में जो समीकरण उभरे हैं, उससे झारखंड की सियासत में हलचल है और भाजपा को इससे ऊर्जा मिली है। रही बात अर्जुन मुंडा की तो वे केंद्र में जनजातीय मामले के साथ ही कृषि मंत्री भी हैं और झारखंड में मुख्यमंत्री भी रहे हैं। आशा लकड़ा को भी आदिवासी चेहरा के नाते आलाकमान तवज्जो देता रहा है और उनमें संभावना भी तलाश रहा है।
उल्लेखनीय है कि 2019 के विस चुनाव में भाजपा को राज्य के 28 आदिवासी सीटों में से भाजपा को 26 में हार का सामना करना पड़ा था, जो भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में महत्वपूर्ण रही थी।
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