योग एक पूर्ण विज्ञान है। यह शरीर, मन, आत्मा और ब्रह्मांड को एकजुट करती है। यह हर व्यक्ति को शांति और आनंद प्रदान करता है। यह एक व्यक्ति के व्यवहार, विचारों और रवैये में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन लाता है। योग के दैनिक अभ्यास से हमारी अंतः शांति, संवेदनशीलता, अंतर्ज्ञान और जागरूकता बढ़ती है।
योगासन क्या है?
हमारा मन एक लोलक की तरह है। जो की भूत से भविष्य, अफसोस और गुस्से से चिंता, एवम् डर और खुशी से दुख के बीच में झूलता रहता है। योग आसन हमें जीवन में समता बनाए रखने में सक्षम बनाते हैं। इसलिए योगासन मात्र कसरत या अभ्यास नहीं है।
योग के विषय में पतंजलि के योग सूत्र में वर्णित है, “स्थिरम् सुखम् आसनम्” इसका अर्थ है कि योगासन प्रयास और विश्राम का संतुलन है। हम आसन में आने के लिए प्रयास करते हैं और फिर हम वहीं विश्राम करते हैं। योगासन हमारे जीवन के हर पहलू में संतुलन लाता है। यह हमें प्रयास करना सिखाता है और फिर समर्पण, परिणाम से मुक्त होने का ज्ञान देता है। योगासन हमारे शारीरिक लचीलेपन को बढ़ाता है और हमारे विचारों को विकसित करता है।
किन बातों का रखे ध्यान
योगासन साँसों के लय एवम् सजगता के साथ किया जाना चाहिए। जब हम अपने हाथों को योग के लिए उठाते हैं, तो पहले हम अपने हाथ के प्रति सजग होते हैं और फिर हम इसे धीरे-धीरे उठाते हैं, साँस के साथ लय में करते हैं। योगासन का एक मुद्रा से दूसरी मुद्रा में जाना एक नृत्य की तरह सुंदर है। प्रत्येक आसन में हम जो कुछ भी सहजता से कर सकते हैं, उससे थोड़ा ज्यादा करें और फिर उसी में आराम से विश्राम करें यही योगाभ्यास की कुंजी है। शरीर को अपनी स्वीकार्य सीमा से परे ले जाने पर ये आसन हमारे मन का विकास करतें हैं।
महर्षि पतंजलि का एक योग सूत्र है, “प्रयत्न शैथिल्यानन्त समापत्तिभ्याम्” जो कि फिर से एक ही दर्शन को दोहराता है। प्रयास करें और समर्पित करें और ऐसा करने से हमारी जागरूकता अनन्त को प्राप्त करती है, हमारी जागरूकता का विकास होता है।