Urban Naxalite: संसद में घुसपैठ अर्बन नक्सलियों का षड्यंत्र? इन बातों से मिल रहे हैं संकेत

संसद की सुरक्षा व्यवस्था का मुद्दा फिर उठा। 2001 के संसद हमले की याद दिलाने वाली इस घटना में गिरफ्तार हुए ये अमोल शिंदे को असीम सरोदे कानूनी सहायता प्रदान करेंगे। इस घुसपैठ का अर्बन नक्सली से कनेक्शन दिख रहा है।

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Urban Naxalite: भारत की नयी संसद(New parliament of india) में इस समय शीतकालीन सत्र(winter session) चल रहा है। 13 दिसंबर को दो युवक अचानक लोकसभा की दर्शक दीर्घा से सदन में कूद गए(Two youths suddenly jumped into the House from the audience gallery of the Lok Sabha) और धुआं फैला दिया। उसी समय संसद परिसर में दो लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। इस मामले में पुलिस ने 4 लोगों को हिरासत में लिया है, इनमें हरियाणा की नीलम अर्बन नक्सलियों द्वारा समर्थित किसान आंदोलन की कार्यकर्ता(farmer movement worker) है। नीलम सीएए और एनआरसी आंदोलन(CAA and NRC movement) में भी शामिल थीं, जबकि अन्य आरोपियों में महाराष्ट्र का अमोल शिंदे लभी शामिल है। इन्हें असीम सरोदे(Asim Sarode) ने कानूनी सहायता(legal aid) मुहैया कराने की घोषणा की है। क्या इस हमले में गिरफ्तार आरोपी अर्बन नक्सली थे? अब यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या यह अर्बन नक्सलवादियों का षड्यंत्र था।

अमोल शिंदे के साथ नीलम
संसद पर हमले के बाद पुलिस ने तुरंत आरोपियों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया। कुल छह आरोपी हैं, जिनमें से चार को गिरफ्तार कर लिया गया है और दो की तलाश जारी है। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ की तो डी. मनोरंजन, सागर शर्मा ने सदन में तो नीलम और अमोल शिंदे ने संसद के बाहर धमाल मचाया। इसमें नीलम किसान, सीएए और एनआरसी के खिलाफ आंदोलन में भी सक्रिय थी। इन दोनों आंदोलनों को अर्बन नक्सलवादियों का समर्थन प्राप्त था। इसी नीलम के साथ अमोल शिंदे संसद परिसर में इधर-उधर दौड़ रहा था। इसलिए इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या नीलम और अमोल शिंदे की पृष्ठभूमि अर्बन नक्सली है।

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अर्बन नक्सली देश के युवाओं में विद्रोह का जो बीज बो रहे हैं, उसका अच्छा उदाहरण संसद में युवाओं की घुसपैठ है। दुनिया भर में इसे युद्ध का चौथा तरीका कहा जाता है। इसमें छात्रों को अन्याय के खिलाफ और देश की व्यवस्था के खिलाफ लड़ने के लिए प्रोत्साहित करके क्रांति के नाम पर उनका ब्रेनवॉश किया जाता है। यही वजह है कि ये बच्चे आगे चलकर हाथ में एके-47 लेकर नक्सली बन जाते हैं और हिंसक वारदातें करते हैं। असीम सरोदे जैसे स्वघोषित संवैधानिक विशेषज्ञों का इन प्रदर्शनकारियों को समर्थन प्राप्त है। यह शहरी नक्सलवादी लिंक दिखाता है। उन युवाओं को भगत सिंह से जोड़ने की कोशिश पूरी तरह से गलत है। भगत सिंह की क्रांति विदेशी ब्रिटिश सरकार के खिलाफ थी। यह कैसी क्रांति है, जब यहां के युवाओं के पास विरोध प्रदर्शन के सभी रास्ते उपलब्ध हैं, ऐसे में हमारी सर्वोच्च सुरक्षा वाले लोकतंत्र के मंदिर में इस तरह की घुसपैठ कर देश के दुश्मनों को राह दिखाना कौन-सी क्रांति है।

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अमोल शिंदे को असीम सरोदे की मदद
संसद की सुरक्षा व्यवस्था का मुद्दा फिर उठा। 2001 के संसद हमले की याद दिलाने वाली इस घटना में गिरफ्तार हुए ये अमोल शिंदे को असीम सरोदे कानूनी सहायता प्रदान करेंगे। उन्होंने ये जानकारी एक पोस्ट कर दी है। 13 दिसंबर को अमोल शिंदे ने संसद में घुसकर बेरोजगारी का मुद्दा उठाया था। असीम सरोदे ने अपने पोस्ट में कहा है, “उसने इसके लिए जिस भगत सिंह शैली का इस्तेमाल किया, वह लोकतंत्र के लिए उपयुक्त नहीं है। लेकिन संसद में बैठे लोग ऐसा कौन सा काम कर रहे हैं, जिससे लोगों को रोजगार मिलेगा और महंगाई कम होगी?”

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