Lok Sabha Elections: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने 2024 के आम चुनाव (General Elections 2024) से पहले लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण(33 percent reservation for women) को अनिवार्य करने वाले महिला आरक्षण अधिनियम को लागू करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता (petitioner) का इसमें कोई व्यक्तिगत हित नहीं है और उन्हें इसे लेकर एक जनहित याचिका(Public interest litigation) दाखिल करनी चाहिए।
याचिका योगमाया एमजी ने दाखिल की थी। याचिका में 2024 लोकसभा चुनाव से पहले आरक्षण लागू करने के आदेश देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि भारतीय राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए इस कानून को प्रभावी तरीके से लागू करना जरूरी है। अगर इसके लागू करने में देरी होती है तो ये लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ होगा।
परिसीमन के बाद आरक्षण होगा लागू
उल्लेखनीय है कि 21 सितंबर को संसद ने महिला आरक्षण को लेकर कानून पारित किया था। इस कानून में परिसीमन के बाद महिला आरक्षण लागू करने का प्रावधान किया गया है। परिसीमन के बाद आरक्षण लागू होने पर ये 2024 के बाद लागू होगा। कांग्रेस नेता जया ठाकुर(Congress leader Jaya Thakur) ने इसी मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में याचिका दायर की है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
जया ठाकुर की मांग
जया ठाकुर की याचिका में कहा गया है कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 को परिसीमन के बाद लागू करने के प्रावधान को हटाया जाए और इस कानून को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले लागू कर अपनी सच्ची भावना में लागू किया जाना चाहिए।