Kathmandu: चालबाज चीन के चंगुल में नेपाल, इस बात से हुई पुष्टि

नेपाल चीन के चंगुल में फंसता जा रहा है। इसके कई प्रमाण देखने को मिल रहे हैं।

1428

Kathmandu: नेपाल में चीन की दखलंदाजी(China’s interference in Nepal) और प्रभाव किस हद तक बढ़ा है, इसका भंडाफोड़ हुआ है। यह दखलंदाजी सरकार, ब्यूरोक्रेसी या राजनीतिक दल(Government, bureaucracy or political party) के भीतर नहीं बल्कि सबसे संवेदनशील विभाग सेना के भीतर देखने को मिली है। चीन की घुसपैठ(Chinese intrusion) नेपाली सेना(Nepali Army) के भीतर किस हद तक बढ़ गई है, उसका यह ताजा उदाहरण है। नेपाल में बन रहे पहले फास्ट ट्रैक रोड के टेंडर(First fast track road tender) को चीन की कंपनी को देने के लिए नियमों में कई मनमाफिक बदलाव(Many arbitrary changes in the rules) तक किए गए।

नेपाल के काठमांडू को भारतीय सीमा तक जोड़ने के लिए देश का पहला फास्ट ट्रैक रोड बनाया जा रहा है। इसकी जिम्मेदारी सरकार ने नेपाली सेना को दिया हुआ है। इसके निर्माण की सभी प्रक्रिया सेना के ही अधीन हैं। इस फास्ट ट्रैक रोड में अब तक जो भी काम हुआ है उसका टेंडर किसी ना किसी चीनी कंपनी को ही दिया गया है। कहने के लिए तो ग्लोबल टेंडर निकाला जाता है, लेकिन सभी टेंडर किसी ना किसी चीनी कंपनी को ही मिले इसके लिए इसके नियमों में कई बदलाव भी किए जाते हैं।

फेल कंपनी की फिर से एंट्री
हाल ही में नेपाली सेना ने फास्ट ट्रैक रोड के पैकेज 8ए और 9बी के लिए जो टेंडर निकाला था, उसके तकनीकी रूप से फेल हो चुके चीन की कंपनी शांक्सी रोड एंड ब्रिज कंस्ट्रक्शन ग्रुप कंपनी लिमिटेड (एसएक्सआरबी) को फिर से इंट्री दे दी गई है। इस टेंडर को लेकर सेना ने 08 दिसंबर को ही चीनी कंपनी एसएक्सआरबी को तकनीकी रूप से अयोग्य घोषित कर दिया था, लेकिन दो दिन बाद यानी 10 दिसंबर को सेना ने एक नोटिस के जरिए इस कंपनी को फिर से योग्य होने की जानकारी दी।

इस चीनी कंपनी के अलावा अन्य चार कंपनियों को भी तकनीकी रूप से अयोघ्य कर दिया गया था। एसएक्सआरबी को तो दोनों ही पैकेज के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था, लेकिन अभी बाकी अन्य कंपनियों को छोड़ कर सिर्फ इसी कंपनी को दोनों ही पैकेज के लिए तकनीकी रूप से योग्य होने का सर्टिफिकेट देते हुए फाइनेंशियल बिड में आगे बढ़ने को कहा गया है।

Parliament Security Breach: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों को लिखा पत्र, किया ये अनुरोध

इंडियन कंपनी ने भरा था टेंडर
इन दोनों ही टेंडर पैकेज में इंडियन कंपनी एएफसीओएनएस ने भी टेंडर भरा था। हालांकि पैकेज 8ए में क्वालीफाई करने के बावजूद पैकेज 9बी में भारतीय कंपनी एएफसीओएनएस को डिसक्वालीफाई कर दिया गया था। सेना की तरफ से बताया गया है कि इंडियन कंपनी को 9बी के लिए भी क्वालीफाई कर दिया गया है। यह सिर्फ इसलिए ताकि चीनी कंपनी को डिसक्वालीफाई से क्वालीफाई करने पर हंगामा न हो। चीनी कंपनी को दोनों टेंडर में बरकरार रखने के लिए और जियो पॉलिटिकल बैलेंस के लिए इंडियन कंपनी को भी क्वालीफाई दिखा दिया गया है। हालांकि इस भारतीय कंपनी ने क्वालीफाई करने के लिए कोई प्रक्रिया या लॉबिंग ही नहीं की थी।

पूर्व रक्षा सचिव देवेन्द्र कार्की ने कहा कि एक बार जिस कंपनी को डिसक्वालीफाई कर दिया गया हो उसको फिर से क्वालीफाई दिखाने के लिए नियमों में बदलाव गैर कानूनी है। किसी भी कारण से किसी खास कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा नहीं किया जा सकता है लेकिन सेना जैसी संस्था के द्वारा किया गया है तो इसलिए इस पर कोई कुछ भी नहीं बोल रहा है।

सेना ने किया स्पष्ट
सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल कृष्ण प्रसाद भंडारी ने कहा कि सेना ने अपने मन से कोई भी निर्णय नहीं किया है। सेना को रक्षा मंत्रालय की तरफ से जो भी निर्देश मिला है, उसी के मुताबिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाई गई है। टेक्निकल बिड के बाद जो परिणाम आया उसकी जानकारी सेना की तरफ से रक्षा मंत्रालय को देने के बाद ही यह प्रक्रिया आगे बढ़ी है।

रक्षा मंत्रालय की तरफ से 21 नवंबर को नेपाली सेना को एक पत्र लिखा गया था जिसमें चीनी कंपनी को फाइनेंशियल बिड में आगे बढ़ाने की सिफारिश की गई है। रक्षा मंत्रालय की सिफारिश के बाद चीनी कंपनी को ही टेंडर देने के लिए टेंडर के फार्म के सेक्शन 3 के 2.2.1 में बदलाव कर ऐसा प्रावधान रखा गया है जिससे इसी कंपनी को टेंडर मिलना सुनिश्चित हो। 2500 करोड़ के टेंडर में पहले यह शर्त रखा गया था कि टेंडर भरने वाली कंपनी का नेटवर्थ टेंडर की कुल लागत से 75 प्रतिशत अधिक होना चाहिए। इस चीनी कंपनी की स्थानीय कंपनी कालिका कंस्ट्रक्शन का का नेटवर्थ पिछले ऑडिट के मुताबिक सिर्फ 173.40 करोड़ ही है।

रक्षा मंत्रालय की तरफ से कोई भी अधिकारी इस बारे में बोलने के लिए तैयार नहीं है। जब उप प्रधानमंत्री तथा रक्षा मंत्री पूर्णबहादुर खड्का से इसकी प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई तो उन्होंने कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया, लेकिन यह जरूर कहा कि वो इस बारे में मंत्रालय के संबंधित विभाग और सेना से बात करेंगे। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि यदि कहीं कोई गड़बड़ी हुई है और नियमों की अनदेखी की गई है तो इसको रद्द भी किया जा सकता है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.