Delhi High Court ने चुनावी सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi), गृह मंत्री अमित शाह(Home Minister Amit Shah) को लेकर ‘पनौती’ और ‘जेबकतरा'(‘Panauti’ and ‘Jebaktaara’) जैसे आपत्तिजनक शब्दों के इस्तेमाल(use of offensive words) के चलते राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज(FIR lodged against Gandhi) करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस तरह के बयान अभद्र हो सकते हैं। इसके बावजूद ऐसी कोई कार्रवाई के लिए उन लोगों को शिकायत दर्ज करनी होगी, जिनके खिलाफ ऐसे बयान दिए गए हैं। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन(Acting Chief Justice Manmohan) की अध्यक्षता वाली बेंच ने निर्वाचन आयोग को इस मामले पर आठ हफ्ते में फैसला करने का निर्देश दिया।
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कोर्ट से दिशा-निर्देश तय करने की मांग
वकील भरत नागर ने दायर याचिका में मांग की है कि चुनावी सभाओं के दौरान इस तरह के झूठे, विषैले बयानों पर रोक लगाने के लिए कोर्ट अपनी ओर से भी दिशा-निर्देश तय करें। कोर्ट ने इस पर कहा कि ऐसे बयानों पर मतदान के जरिये जनता जवाब देती ही है, फिर इस तरह के बयानों को रोकने के लिए कोई कानून लाना है तो ये काम संसद का है, कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा।
ऐसे भाषणों के खिलाफ कड़े कानून और दिशा-निर्देश की जरूरत
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील आदिश अग्रवाला और कीर्ति उप्पल ने कहा कि ऐसे भाषणों के खिलाफ कड़े कानून और दिशा-निर्देश की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने महज नोटिस दिया, क्योंकि आयोग के पास ऐसे भाषणों से निपटने के लिए अधिकार नहीं हैं। कीर्ति उप्पल ने कहा कि बयान प्रधानमंत्री को लेकर था और प्रधानमंत्री का पद संवैधानिक होता है। तब कार्यकारी चीफ जस्टिस ने कहा कि इस तरह के बयान अभद्र हो सकते हैं, लेकिन ऐसी कोई कार्रवाई के लिए उन लोगों को शिकायत दर्ज करनी होगी, जिनके खिलाफ ऐसे बयान दिए गए हैं।