Explained: क्या है सीआरपीसी की धारा 144 ?

भारत के इस कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए दंड का प्रावधान है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की 141-149 धाराओं के अनुसार, दंगों में शामिल होने की अधिकतम सजा 3 साल सश्रम कारावास और / या जुर्माना है।

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Explained: मुंबई पुलिस की ओर से जारी एक सर्कुलर के तहत इस समय मुंबई (Mumbai) में धारा 144 (Section 144) लागू है। मुंबई पुलिस (Mumbai Police) द्वारा , मुंबई में बुधवार (20 दिसंबर) आधी रात से लागू की गयी धारा 144 नये साल की 18 जनवरी 2024 तक लागू रहने वाली है। मुंबई पुलिस ने शहर में कानून व्यवस्था (Law and Order) बनाए रखने के लिए धारा 144 के तहत आदेश जारी किए हैं।

क्या है धारा 144
जानबूझकर शांति भंग करने के इरादे से गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने वाले लोगों के समूह को कानून की भाषा में एक शब्द दिया गया। यदि कोई समूह के बारे किसी गड़बड़ी की आशंका की पूर्व सूचना मिलती है, तो इसे रोकने के लिए एक अधिनियम है। अगर गड़बड़ी शुरू हो जाती है, तो इसे दंगा कहा जाता है। हमारे भारत में इन संभावित खतरों से निपटने के लिए धारा 144 का प्रावधान किया गया है। भारत में धारा 144 को एक तरह के अपराध की श्रेणी में माना गया है। 1973 की आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 कार्यकारी मजिस्ट्रेट को एक क्षेत्र में चार से अधिक व्यक्तियों की एक सभा को प्रतिबंधित करने का अधिकार देती है। ताकि प्रशासन संभावित खतरों के माहौल को समय रहते नियंत्रित कर सके। दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत बिना किसी पूर्व सूचना एवं अनुमति के धरना प्रदर्शन , रैलियां, सभाओं के आयोजन संबंधी सभी कार्यों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा होता है। किसी भी सामूहिक उद्देश्य के लिए डीजे लॉउडस्पीकर जैसे ध्वनी विस्तारण यंत्र के उपयोग पर पाबंदी लगाई गई होती है । इस कानून के तहत राज्य सरकार, स्वप्रेरणा से या किसी व्यथित व्यक्ति के आवेदन पर, उप-धारा (4) के प्रावधानों के तहत अपने द्वारा दिए गए किसी भी आदेश को रद्द या बदल सकती है।

धारा 144 के उल्लंघन पर दंड का प्रावधान
भारत के इस कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए दंड का प्रावधान है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की 141-149 धाराओं के अनुसार, दंगों में शामिल होने की अधिकतम सजा 3 साल सश्रम कारावास और / या जुर्माना है। गैरकानूनी सभा के प्रत्येक सदस्य को समूह द्वारा किए गए अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। ऐसी सभा को तितर-बितर करने की कोशिश करने वाले अधिकारी को बाधित करना अधिक सज़ा आकर्षित कर सकता है।

धारा 144 को 1861 में मिला आकार
IPC की धारा 144 की संकल्पना राज-रत्न ई॰एफ॰ देबू (एक अधिकारी) ने की थी। उन्होंने इसे लगभग सन 1861 में आकार दिया था। इसकी बदौलत उस समय के बड़ौदा राज्य में समग्र अपराध में कमी आई थी। उनकी इस पहल के लिए उन्हें मान्यता दी गई और धारा 144 लगाने और समग्र अपराध को कम करने के लिए बड़ौदा के महाराजा गायकवाड़ ने स्वर्ण पदक से सम्मानित किया।

मुंबई में क्यों लगी धारा 144
प्रशासन को आशंका है कि मुंबई में इस दौरान कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इस पृष्ठभूमि में एहतियात के तौर पर धारा 144 लगाया गया है। चूंकि पूरे शहर में धारा 144 लागू कर दी गई है, इसलिए पांच या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध है। सार्वजनिक सभाओं पर भी रोक लगा दी गई है। मुंबई पुलिस की ओर से जारी आदेश के अनुसार, प्रतिबंध अवधि के दौरान शहर में लाउड स्पीकर, बैंड और पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध रहेगा। पुलिस ने चेतावनी दी है कि इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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