Hamirpur: संस्कृति, सभ्यता, मर्यादा, मानवता, मां और जन्मभूमि के प्रति अपार समर्पण का आदर्श प्रस्तुत करने वाले भगवान श्री राम के भव्य और दिव्य मंदिर (divine temple) के निर्माण के बाद उनकी प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इस शुभ दिन पर 1990 के आंदोलन में अपनी जान की परवाह न करते हुए कारसेवक के रूप में अयोध्या (Ayodhya) जाकर संघर्ष (struggle)के बिल्कुल करीब खड़े होने का सार्थक परिणाम देखकर सुमेरपुर कस्बे के कारसेवक(Kar Sevak) बहुत खुश हैं। (Ram Mandir)
1990 में सुमेरपुर कस्बे से आधा दर्जन लोग गए थे अयोध्या
विदोखर गांव (Vidokhar village), निवासी मिथलेश कुमार (Mithlesh Kumar) द्विवेदी कहते हैं, कि यह राम मंदिर (Ram temple) युगों-युगों तक देश और दुनिया को मानवीय मूल्यों के प्रति जागरूक करने की प्रेरणा के साथ धार्मिक, सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक ऊर्जा (spiritual energy) प्रदान करता रहेगा। सुमेरपुर निवासी कारसेवक प्रदीप कुमार उर्फ रामकृपाल प्रजापति (Ramkripal Prajapati) ने बताया कि 1990 में विहिप के आह्वान पर सुमेरपुर (SumerPur) कस्बे से आधा दर्जन लोग अयोध्या गए थे। 10 दिनों तक गांवों में रहने के बाद वह तय समय पर अयोध्या (Ayodhya) पहुंचे और गोलीबारी(firing) की घटना के बाद घर लौट आए। (Ram Mandir)
33 साल बाद राम मंदिर का निर्माण
कारसेवक रामशरण सिंह देवगांव कहते हैं, कि उनके अयोध्या जाने के 33 साल बाद राम मंदिर का निर्माण(construction of Ram temple) लगभग पूरा हो गया है। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम (Pran Pratishtha program) हो रहा है, इसलिए उन्हें खुशी है। कि जिस काम के लिए वे अपनी जान की परवाह किए बिना उस वक्त अयोध्या (Ayodhya) चले आए, जब ट्रेनों (trains) को छोड़कर परिवहन के सभी साधन ठप थे। जगह-जगह पुलिस (Police) का पहरा था, लोगों को अस्थाई जेलों (jails) में बंद किया जा रहा था। वे उस समय अयोध्या (Ayodhya) में राम (Ram) के लिए निकले उसी जुलूस में थे, जिसमें गोलीबारी की घटना हुई थी. इतने संघर्ष के बाद जब वह शुभ दिन उनके सामने आया तो उन्हें बहुत खुशी हुई। (Ram Mandir)
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