Mathura Shri Krishna birthplace dispute: सभी केसो को कंसोलिडेटेड कर सुनवाई की अर्जी मंजूर, इस तिथि को होगी सुनवाई

श्रीकृष्ण जन्मस्थान मुक्ति समिति की तरफ से एक पक्षकार की तरफ से कहा गया कि सारी जमीन कटरा केशव देव के नाम दर्ज है।

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ज्ञानवापी मस्जिद

Mathura Shri Krishna birthplace dispute: इलाहाबाद हाईकोर्ट(Allahabad High Court) ने मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद(Mathura Shri Krishna birthplace dispute) से जुड़े सभी मामलों को कंसोलिडेटेड करने की अर्जी मंजूर(Application for consolidation approved) कर ली है। विचाराधीन 18 सिविल वादों में से 15 वादों को भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव मूल वाद में मर्ज कर दिया गया है। शेष दो केसों पर बाद में विचार किया जायेगा।

कोर्ट ने कहा सभी केस कंसोलिडेटेड कर सुनवाई करने से कोर्ट के समय की बचत होगी, पक्षकारों के खर्च बचेंगे और फैसलों में भिन्नता नहीं होगी। समान प्रकृति के वादों का कंसोलिडेटेड किया जाना न्याय हित में जरूरी है। कोर्ट कमिश्नर की रूपरेखा तय करने के मामले की सुनवाई 17 जनवरी को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक जैन ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव सहित सभी 17 वादों की सुनवाई करते हुए दिया है।

कटरा केशव देव के नाम की 13.37 एकड जमीन से अवैध ढांचा हटाने की मांग
मंदिर पक्ष की तरफ से अधिवक्ता विष्णु जैन ने अर्जी दाखिल कर सभी वादों को कंसोलिडेटेड कर सुनवाई करने की मांग की। इन्हीं की मथुरा में लम्बित श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़े सभी वादों को हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर सुनवाई की याचिका पर कोर्ट ने सभी वादों को मंगा लिया और सुनवाई की जा रही है। मांग की गई है कि कटरा केशव देव के नाम की 13.37 एकड जमीन से अवैध ढांचा हटाया जाये।

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विवाद का शीघ्र निपटारा किया जाना न्याय हित में जरूरी
जैन का कहना था कि मामला अति आवश्यक है, जिसका शीघ्र निपटारा किया जाना न्याय हित में जरूरी है। सभी को कंसोलिडेटेड कर सुनवाई से समय व खर्च की बचत होगी। विरोधाभासी फैसले भी नहीं आयेंगे। मस्जिद पक्ष के वकीलों ने भी सहमति जताई। हालांकि महमूद प्राचा ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से बहस में विरोध किया किंतु उसी पक्ष के अधिवक्ता नसईरूज्जमा ने आपत्ति नहीं कर कंसोलिडेटेड करने पर सहमति जताई। कहा समान प्रकृति के केस है, कंसोलिडेटेड कर सुनवाई की जानी चाहिए।

मंदिर पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से बहस की कहा कोर्ट को समान प्रकृति के वादों को कंसोलिडेटेड कर सुनवाई करने का स्वत अधिकार है। ऐसा करने के लिए पक्षकारों की सहमति जरूरी नहीं है, समय बचेगा। विष्णु जैन ने कहा कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर भेजने का आदेश दिया है। रूपरेखा तय की जानी है। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज के साथ तीन वकीलों का कमीशन भेजा जा सकता है। पक्षकारों को भी साथ रहने की अनुमति दी जाय।

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने परिवार में गमी के कारण सुनवाई टालने की अर्जी दी है। जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 17 जनवरी तय की है।

मंदिर पक्ष के अधिवक्ता प्रभाष पांडेय, प्रदीप शर्मा, मस्जिद पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता वजाहत हुसैन व न्यायमित्र मार्कंडेय राय सहित तमाम पक्षों के अधिवक्ताओं ने पक्ष रखा। सुनवाई शुरू होते ही मुस्लिम पक्ष की ओर से यह कहते हुए सुनवाई स्थगित करने की मांग की गई कि सर्वे कमीशन के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लम्बित है जिसकी 16 जनवरी को सुनवाई की संभावना है। तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता के पिता की मृत्यु हो चुकी है और वह पहले ही स्थगन का प्रस्ताव दे चुके हैं। इसलिए एडवोकेट कमीशन की रूपरेखा तय करने पर आज सुनवाई न की जाए।

हिंदू पक्ष के वकील हरि शंकर जैन व विष्णु शंकर जैन ने कहा कि मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह परिसर के सर्वे कमीशन की संरचना और तौर-तरीकों के मुद्दे पर सर्वे टीम गठित करने के आदेश से कोई नुकसान नहीं होने वाला है। हाईकोर्ट के किसी रिटायर जज की अध्यक्षता में सर्वे टीम गठित करने का आदेश दिया जा सकता है। विचाराधीन सभी 18 सिविल वादों के पक्षकारों ने विभिन्न अर्जियां दाखिल की। जिनकी सुनवाई की गई।कुछ अर्जियों पर विपक्षी को आपत्ति दाखिल करने का समय दिया गया। कुछ अर्जी पक्षकार बनाने की भी दाखिल की गई।

केशव देव के नाम पर दर्ज है जमीन
श्रीकृष्ण जन्मस्थान मुक्ति समिति की तरफ से एक पक्षकार की तरफ से कहा गया कि सारी जमीन कटरा केशव देव के नाम दर्ज है। जिसका सर्वे कमीशन जारी करने का आदेश हुआ है। विपक्षी शाही ईदगाह परिसर में तोड़फोड़ कर स्मृति चिन्ह को नष्ट कर रहे हैं। उसकी अर्जी पर आपत्ति दाखिल करने का विपक्षी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अंतिम अवसर देने के बावजूद आपत्ति दाखिल न कर सुनवाई में देरी की जा रही है और दूसरी तरफ साक्ष्य समाप्त किये जा रहे हैं। कोर्ट ने मूल वाद के साथ सुनवाई करने को कहा है।

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