भारत विकसित होगा, तो संपूर्ण ग्लोबल साउथ विकसित होगा- Dharmendra Pradhan

21वीं सदी में, ज्ञान और योग्यताएं एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी, जो सभी के लिए ज्ञान और कौशल विकास के अवसरों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर देंगी।

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केन्द्रीय शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री, धर्मेन्द्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने गांधीनगर में कहा कि कि ‘कौशल विकास (Skill Development) के लिए वैश्विक नेटवर्क (global network) विकसित करना’ सफलता प्राप्त करने की कुंजी है। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र (developed nation) बनाने का लक्ष्य एक वैश्विक नेटवर्क के साथ संभव होगा और जब भारत (India) विकसित होगा तो संपूर्ण वैश्विक दक्षिण विकसित होगा।

21वीं सदी में, ज्ञान और योग्यता की महत्वपूर्ण भूमिका
जी20 घोषणा का जिक्र करते हुए प्रधान ने उल्लेख किया कि कैसे कौशल के लिए एक वैश्विक मानचित्र बनाने की आवश्यकता महसूस की गई, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रस्तावित किया था। उन्होंने वैश्विक कौशल मानचित्रण और कौशल सामंजस्य (Global Skills Mapping and Skills Harmonization) जैसी पहलों के माध्यम से कौशल की कमी को दूर करने के लिए जी20 समूह के समर्पण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह एक लचीले, निष्पक्ष और समावेशी भविष्य के लिए शिक्षा और तैयारी का नवीन ढांचा स्थापित करने की दिशा में एक सही समय पर उठाए गए कदम का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में, ज्ञान और योग्यताएं एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी, जो सभी के लिए ज्ञान और कौशल विकास के अवसरों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर देंगी।

 प्रधान ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के सिद्धांत के महत्व को रेखांकित किया और यह भी कहा कि भारत दुनिया के समग्र कल्याण के लिए मानवीय संबंध बनाने की जिम्मेदारी लेता है।

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