Makar Sankranti: गंगासागर में पहुंचे 65 लाख श्रद्धालु, लगाई आस्था की डुबकी

मकर संक्रांति के अवसर पर सोमवार तड़के देशभर से आए श्रद्धालुओं ने गंगा नदी और बंगाल की खाड़ी के संगम पर स्नान किया। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस साल गंगासागर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 65 लाख से अधिक है।

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Makar Sankranti: मकर संक्रांति के मौके पर गंगासागर (Gangasagar) में सोमवार को लाखों श्रद्धालुओं (millions of devotees) ने आस्था की डुबकी लगाई। राज्य सरकार के एक मंत्री ने दावा किया है कि इस बार सागर मेले में कम से कम 65 लाख लोग शामिल हुए।

गंगा नदी और बंगाल की खाड़ी के संगम पर किए स्नान
मकर संक्रांति के अवसर पर सोमवार तड़के देशभर से आए श्रद्धालुओं ने गंगा नदी (River Ganges) और बंगाल की खाड़ी के संगम पर स्नान किया। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस साल गंगासागर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 65 लाख से अधिक है। श्रद्धालुओं ने कपिल मुनि मंदिर (Kapil Muni Temple) में प्रार्थना भी की।

सागर द्वीप पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ी
हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर लाखों श्रद्धालु स्नान और कपिल मुनि मंदिर में पूजा करने के लिए गंगासागर आते हैं। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के जुटने के कारण राज्य सरकार ने सागर द्वीप पर सुरक्षा व्यवस्था (Security arrangements on Sagar Island) बढ़़ा दी है। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए राज्य पुलिस के अलावा राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और तटरक्षक बल के जवान तैनात हैं।

1,100 सीसीटीवी कैमरों और 22 ड्रोन की मदद से निगरानी
राज्य के बिजली और खेल मंत्री अरूप विश्वास ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘8 जनवरी को मेले के उद्घाटन के बाद से रविवार दोपहर तक लगभग 65 लाख श्रद्धालु गंगासागर मेले में आए।’ विश्वास ने बताया कि विशाल समुद्र तट पर फैले मेला मैदान की लगभग 1,100 सीसीटीवी कैमरों और 22 ड्रोन की मदद से निगरानी की जा रही है। उन्होंने बताया कि यहां 14 हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं, 45 वॉच टावर बनाए गए हैं। श्रद्धालुओं को 22 घाटों पर 36 जहाजों, 100 बड़ी नौकाओं और छह नौकाओं के जरिए सागर द्वीप तक पहुंचाया जा रहा है। जबकि मुरीगंगा नदी पर 300 फॉग लाइट (100 मीटर से कम दृश्यता में देखने में सक्षम रोशनी) लगाई गई हैं।

राजा सगर के पुत्रों को मिला था मोक्ष
मान्यता है कि त्रेता युग में मकर संक्रांति की जिस पावन तिथि पर मां गंगा ने धरती पर उतर कर सागर तट पर राजा सगर के पुत्रों को स्पर्श कर मोक्ष दिया था, उसी तिथि पर हर साल गंगासागर में पुण्य स्नान होता है।

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