Maharashtra: पिछले हफ्ते विधानसभा स्पीकर अध्यक्ष राहुल नार्वेकर(Assembly Speaker Rahul Narvekar) द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) गए हैं, लेकिन हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले जनता की अदालत(public court) में आये हैं। वे तय करें कि किसे सही साबित करना है, दफनाना है या रौंदना है। हमारे सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद, मिंढे गुट( शिंदे गुट) हाई कोर्ट गया, जिसका मतलब था समय काटना। इसलिए मैं चुनौती देता हूं, अगर आपको न्याय नहीं मिलता है तो हमें भी नहीं मिलता है, तो आप राज्यपाल के पास जाएं और विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएं, मैं आपका समर्थन करूंगा। व्हिप हम पर लागू नहीं होता, व्हिप का मतलब चाबुक होता है। असहाय के हाथ में चाबुक अच्छा नहीं लगता। हमें चुनाव आयोग(election Commission) के खिलाफ मामला दायर करना चाहिए। 39 लाख हलफनामे दिए गए, क्या चुनाव आयोग उस समय सोया था? उन्होंने कुछ नहीं किया। उबाठा प्रमुख उद्धव ठाकरे ने तीखा हमला बोलते हुए कहा, ‘हमें मुआवजा नहीं, हमें हमारा अधिकार वापस दो।’
राहुल नार्वेकर का फैसला गलत थाः उद्धव ठाकरे
राहुल नार्वेकर का फैसला कैसे गलत था, यह साबित करने के लिए उबाठा समूह ने एक महा प्रेस कॉन्फ्रेंस(Grand Press Conference of Ubatha Group) आयोजित की। उस वक्त उद्धव ठाकरे(Uddhav Thackeray) बोल रहे थे। क्या आपने देखा कि 2013 में पार्टी मीटिंग में क्या हुआ था, वहां कौन-कौन था? नालायक लोग इकट्ठे होकर शिवसेना को निगलने निकल पड़े, 24 घंटे में क्या होगा पता चल जाएगा। मैंने एक पल में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, मैं बैठकर कानून नहीं देखता रहा, लेकिन अदालत ने कहा कि राज्यपाल द्वारा बुलाई गई बैठक मौलिक रूप से अवैध थी। ये लड़ाई सिर्फ शिव सेना की नहीं है, बल्कि इस लड़ाई से देश में लोकतंत्र बचेगा।
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आपका काम जन्म रिकार्ड देखना नहीं है
सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा देने का अधिकार तो दे दिया है, लेकिन जल्लाद का काम तो जल्लाद ही कर सकता है। वैसे, जल्लाद राहुल नार्वेकर थे। कहा जाता है कि हमारा संविधान चुनाव आयोग के पास नहीं था, तो क्या वह उसे निगल गया? जेपी नड्डा कहते हैं कि भविष्य में बीजेपी ही रहेगी, क्या ये लोकतंत्र है? बालशास्त्री प्रभुणे का जन्म इसी महाराष्ट्र में हुआ, उसी मिट्टी में गद्दार कैसे पैदा हुए? जब आपने 2014 में मेरा समर्थन किया, लोकसभा में समर्थन किया, अमित शाह मेरे पास आए थे, तो क्या आपको नहीं लगा कि मैं शिवसेना पार्टी प्रमुख हूं? जब मैंने आपको एबी फॉर्म(AB form) दिया, मंत्री पद दिया तो क्या मैं पार्टी प्रमुख नहीं था? उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं, लेकिन आज से मैं इस मामले को जनता की अदालत में ले जा रहा हूं।