Ram Mandir Pran Pratishtha: प्रभु श्रीराम मंदिर निर्माण यात्रा में गंगोह निवासी पूर्व नगर संघचालक जयश्री राम के नाम से विख्यात राकेश गर्ग (Rakesh Garg) का योगदान भी कम नहीं रहा। उनके द्वारा चलाये गये आंदोलन की गूंज से न केवल पूरा देश गुंजायमान रहा, वरन तत्कालीन वीरबहादुर सिंह (Veerbahadur Singh) सरकार को अपना निर्णय बदलकर उनकी रथ यात्रा को इजाजत देनी पड़ी थी। यह घटनाक्रम वर्ष 1986 का है, जबकि विश्व हिन्दू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) ने पूरे उत्तर प्रदेश में राम मंदिर निर्माण के लिये लखनऊ (Lucknow) से राम जानकी रथ यात्रा (Ram Janaki Rath Yatra) शुरू की थी।
रामजानकी रथ यात्रा
प्रदेश भर में निकली पांच राम जानकी रथों में से एक पश्चिमी उत्तर प्रदेश की रामजानकी रथ यात्रा के सारथी व पुजारी बतौर राकेश गर्ग थे मगर अंतिम चरण में रथ गाजियाबाद से मेरठ जिले में प्रवेश करने से पहले ही 13 फरवरी 1986 को प्रशासन ने रुकवा दिया। जिससे परेशान होकर पुजारी ने अधिकारियों को बेहद कटु शब्दों में चेतावनी देकर रथ को आगे बढ़वाया और परीक्षितगढ़ मेरठ में कार्यक्रम शुरु कर दिया। रथ के साथ आरएसएस के तत्कालीन गाजियाबाद विभाग प्रचारक और वर्तमान में श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के जनरल सेक्रेटरी व विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय, गाजियाबाद के तत्कालीन जिला प्रचारक व हाल में सेवा भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री राकेश जैन भी थे।
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जिला प्रशासन ने लगाया रथ यात्रा प्रतिबंध
जिला प्रशासन द्वारा शासन के रथ यात्रा पर प्रतिबंध की जानकारी देते ही पुजारी ने जय श्रीराम के नारे लगाते हुए गांधारी मंदिर तालाब परिसर में आमरण अनशन शुरु कर दिया था। इसके बाद विहिप ने देशव्यापी आंदोलन की घोषणा कर दी। देखते ही देखते हजारों की संख्या में आंदोलन स्थल पर पहुंचे लोगों ने कीर्तन व भंडारा शुरु कर दिया। अगवानहेडा गांव व मेरठ सहित कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों पर पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। माहौल बिगड़ता देख तत्कालीन वीर बहादुर सिंह सरकार ने आंदोलन के दूसरे दिन देर रात केवल उक्त रथ यात्रा को 22 फरवरी तक चलाने की इजाजत दी। आधी रात में संघ के विभाग प्रचारक व वर्तमान वरदान नेत्र चिकित्सालय गाजियाबाद के संचालक कमलेश कुमार और महानगर प्रचारक अधीश के साथ मेरठ प्रशासन ने शासन की विशेष अनुमति से अवगत कराकर पुजारी राकेश गर्ग का जूस पिलाकर अनशन समाप्त कराया। इसके बाद राम जानकी रथ यात्रा पूरी हो सकी।