Pran Pratishtha: अयोध्या (Ayodhya) के श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा (Life consecration in Shri Ram temple) के आयोजन को लेकर लोग आनंदित हैं। वहीं राम नगरी में जुटी साघ्वियां (Saghviyan) प्रभु श्रीराम के साथ माता सीता (Mata Sita) के आगमन को लेकर आह्लादित हैं। विभिन्न आश्रमों में प्रवास कर रही साध्वियां माता सीता के साथ प्रभु श्रीराम के आगमन को लेकर मंगल गीत (Mangal Geet) गा रही हैं।
विविध अनुष्ठानों में सहभागिता
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर शारदा नंदन गिरि और ज्योतिषाचार्य संन्यासिनी साधना समेत सैकड़ों साध्वियां अखाड़े के राम पौड़ी तुलसी घाट स्थित अवध दत्त आश्रम में पिछले कई दिनों से प्रवास कर रही हैं और सीताराम के भजन में लीन होकर आश्रम में चल रहे विविध अनुष्ठान में लगी हैं।
भारत की संस्कृति मातृशक्ति प्रधान
महामंडलेश्वर शारदा नंदन गिरि और संन्यासिनी साधना ने कहा कि भारत की संस्कृति मातृशक्ति प्रधान है। यहां पहले माता सीता की पूजा होती है, फिर राम की। इसी तरह श्रीकृष्ण से पहले राधा और शिव के पूर्व मां पार्वती का नाम आता है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति ही महिला सशक्तिकरण की है।
भव्य दीपोत्सव मनाने की तैयारी
महाराष्ट्र से यहां आईं महामंडलेश्वर शारदा नंदन गिरि ने कहा कि भगवान राम माता सीता के साथ जब 14 वर्ष का वनवास पूर्णकर वापस लौटे थे तो अयोध्यावासियों ने दीपोत्सव का आयोजन किया था। आज लगभग पांच सौ साल के संघर्ष के बाद प्रभु श्रीराम फिर से विराजमान हो रहे हैं, उनके साथ माता सीता भी विराजमान होंगी। ऐसे अवसर पर देश ही नहीं दुनिया भर के सनातनी आनंदित हैं और 22 जनवरी को भव्य दीपोत्सव मनाने की तैयारी चल रही है।
मंदिर में विराजमान होगा माता सीता का भी विग्रह
संन्यासिनी साधना ने कहा कि मंदिर के गर्भगृह में श्रीरामलला विराजमान होंगे। वहीं भगवान श्रीराम के साथ माता सीता का भी अलग विग्रह मंदिर में विराजमान होगा। उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम का मंदिर भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। दोनों साध्वियों ने आशा व्यक्त की कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब अयोध्या सहित इस क्षेत्र का आर्थिक विकास भी बड़ी तेजी के साथ होगा।(हि.स.)
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