Ram Mandir Pran Pratishtha: विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad)(विहिप) के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार (Alok Kumar) ने कहा कि जब पंडित जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) प्रधानमंत्री थे, तब उनकी कैबिनेट ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण की मंजूरी दी थी। उस समय भी सिर्फ गर्भगृह ही बनकर तैयार था और तात्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद (Rajendra Prasad) ने उसमें प्राण प्रतिष्ठा की थी। तब तो मंदिर बाकी का बना ही नहीं था। अयोध्या स्थित रामकथा संग्रहालय के मीडिया सेंटर पहुंचे विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष अलोक कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मंदिर बनने में दसियों साल लगते हैं। तब तक हम भगवान को मंदिर से बाहर बैठाकर इंतजार कराएंगे क्या?
श्रीरामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह
उन्होंने कहा कि गर्भगृह जब तैयार हो जाता है तो भगवान का उसमें प्राण प्रतिष्ठा कर बिठा दिया जाता है और मंदिर का शेष कार्य चलता रहता है। उन्होंने कहा कि कुछ कुछ मंदिर तो प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी बनता रहता है। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यहां कोई पब्लिक मीटिंग नहीं है। केवल आमंत्रित लोगों को ही सम्बोधित करने का उनका कार्यक्रम है।
लम्बे समय तक चला संघर्ष
30 दिसंबर 2023 को भी वे अयोध्या आये थे, तब उन्होंने सार्वजनिक सभा को सम्बोधित किया था और एक रोड सभा भी। कार्यकारी अध्यक्ष ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि एक लम्बे संघर्ष के बाद श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का अवसर आया है, लेकिन यह संघर्ष किसी भी तरह से सुखद नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि यह संघर्ष अपनों से ही था। यह संघर्ष अंग्रेजों अथवा मुगल आक्रमणकारियों के खिलाफ नहीं था। इसकी पीड़ा अवश्य थी कि एक वर्ग श्रीराम मंदिर का विरोध कर रहा था। इस तरह की घटनाओं को भूलना चाहिए। बस इतना ही समझिये कि यह संघर्ष बीता हुआ कल है।