Ram Mandir Pran Pratishtha: रामलला प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व संध्या पर मनभावन हुई अयोध्या नगरी

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर राम मंदिर सहित पूरी अयोध्या को बेहद खूबसूरती से सजाया गया है।राम मंदिर के गर्भ गृह से लेकर बाहरी परिसर तक को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया है।

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Ram Mandir Pran Pratishtha: एक नगरी है विख्यात अयोध्या (Ayodhya) नाम की, यही जन्मभूमि है परम पूज्य श्रीराम की। मन-मंदिर से गुलाब की पंखुड़ियों तक कण-कण में राम। देश में वंदन पधार रहे रघुनंदन, श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में प्रभु के पधारने का समय नजदीक आ चुका है, मंदिर का आंतरिक भाग स्वर्णिम आभा लेने लगा है। नयनाभिराम, लोकपावन भगवान श्रीराम का दर्शन इसी मंदिर परिसर में मिलेगा। चमक रहा है श्रीराम मंदिर, दिवाली सी जगमगा रही है अयोध्या, हे आर्यपुत्रों हे रामभक्तों तुम्हें अयोध्या बुला रही है… मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आंगन को इस कदर फूलाें से संवारा गया है कि इसकी शोभा देखकर गोस्वामी तुलसी दास द्वारा रचित रामचरित मानस का एक दोहा रामायुध अंकित गृह सोभा बरनि न जाइ… याद आ जाता है। श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा देश-दुनिया की कई शख्सियतें शामिल होंगी।

वातावरण को दिव्य और पवित्र बना रही आकर्षक आकृतियां
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर राम मंदिर सहित पूरी अयोध्या को बेहद खूबसूरती से सजाया गया है।राम मंदिर के गर्भ गृह से लेकर बाहरी परिसर तक को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया है। मंदिर के स्तंभों, छतों और दीवारों पर फूलों से आकर्षक आकृतियां बनाई गई हैं, जो वातावरण को दिव्य और पवित्र बना रही हैं। इसके अलावा मंदिर के ऊपरी हिस्से को भी बेहद खूबसूरत अंदाज में संवारा गया है।

देखते ही बन रही है सुंदरता
प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले राम मंदिर को रोशनी से सजाकर जगमग कर दिया गया है। रात में यह दृश्य किसी अजूबे से कम नहीं लगता। भव्य आयोजन से पहले मंदिर के साथ-साथ आसपास की जगहों की भी सुंदरता देखते बन रही है। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देश ही नहीं, विदेश में भी रह रहे भारतीय लोगों में जबर्दस्त उत्साह है।

रचा जा रहा इतिहास, खत्म हुआ वनवास
पांच सदियों की तप-तपस्या, साध-साधना पूरी हो चली है। राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ की अंतिम समिधा निर्णायक मंत्रोच्चार की प्रतीक्षा में है। रामभक्तों की भावना आकार ले रही है। रामकथा में उस प्रसंग का स्मरण करें, जब प्रभु श्रीराम 14 वर्षों का वनवास व्यतीत कर सीता संग अपनी जन्मभूमि में लौटे थे। त्रेतायुग में श्रीराम के अयोध्या पुनरागमन का वही दृश्य कलिकाल में पुनः उपस्थित है। सुमन वृष्टि नभ संकुल, भवन चले सुखकंद। हर्षातिरेक से नभ और धरा एकमय हो गए हैं। भौतिक भवनों से लेकर मानवमानस के द्वार वंदनवार से सज गए हैं, गैरिक ध्वजाओं से धज गए हैं।

नृत्य कर रहीं सरयू की लहरें, हनुमान गढ़ी से हो रहा शंखघोष
प्रत्येक हृदय में अयोध्या विराज गई हैं। संपूर्ण भरतभूमि ही अयोध्या हो गई है। रामोत्सव-लोकोत्सव एकाकार हो गए हैं। आकांक्षाएं हिलोरें ले रही हैं। हनुमान गढ़ी से शंखघोष हो रहा है, सरयू की लहरें नृत्य कर रही हैं, कनक भवन स्वर्णिम आभा से प्रमुदित है, हमारे प्रभु श्रीराम आ रहे हैं। राम सभी के हैं। राम सभी में हैं। राम सगुण साकार भी हैं और निर्गुण निराकार भी हैं। दोनों ही दृष्टियों, धारणाओं-अवधारणाओं के राम गुणों से समृद्ध हैं, सदगुणों के स्वामी हैं।

 

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