महाराष्ट्र की राजनीति में मचा तूफान शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा फोड़े गए लेटर बम के बाद विपक्ष ने महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसी क्रम में 24 मार्च को भाजपा नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी से मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक बंद लिफाफा भी सौंपा। भाजपा नेताओं ने इस लिफाफे में सरकार के खिलाफ कई सबूत होने का दावा किया है।
सीएम की चुप्पी पर सवाल
विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की चुप्पी पर भी ससवाल उठाए। फडणवीस ने कहा कि सीएम इस मामले में चुप हैं, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने दो बार प्रेस कॉन्फेंस लेकर बात छिपाने की कोशिश की। फडणवीस ने कहा कि संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राज्यपाल को अपनी जिम्मेदारी संभालनी चाहिए और इस पूरी घटना पर सरकार से रिपोर्ट मांगनी चाहिए। समझा जा रहा है कि इस मामले में राज्यपाल सीएम से रिपोर्ट मांग सकते हैं।
संकट में सरकार
भारतीय जनता पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल कोश्यारी से मुलाकात की और गृह मंत्री अनिल देशमुख टरगेट मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। देशमुख पर लगे गंभीर आरोपों के बाद सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। भाजपा के इस प्रतिनिधिमंडल में भाजपा नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस, सुधीर मुनगंटीवार, जय कुमार रावल, चंद्रकांत पाटील, राधाकृष्ण विखे पाटील के साथ ही अन्य नेता शामिल थे।
क्या दोहराया जाएगा इतिहास?
जिस तरह से प्रदेश की उद्धव सरकार आरोपों से घिरती जा रही है,उसे देखते हुए यहां इतिहास दोहराए जाने की शंका व्यक्त की जा रही है। बता दें कि 17 फरवरी 1980 को कानून व्यवस्था को लेकर शरद पवार की प्रगतिशील लोकतांत्रिक सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपृति शासन लागू कर दिया गया था।