Prime Minister ने की छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से बात, परीक्षा के तनाव को दूर करने का दिया ये मंत्र

प्रधानमंत्री ने परिवारों में विश्वास की कमी और माता-पिता और शिक्षकों से इस गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यह कमी अचानक नहीं है बल्कि एक लंबी प्रक्रिया का परिणाम है।

177

Prime Minister नरेन्द्र मोदी(Narendra Modi) ने स्वस्थ प्रतिस्पर्धा(Healthy competition) को छात्रों के विकास के लिए शुभ संकेत बताया और कहा कि प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां जीवन में प्रेरणा(Competition and Challenges Motivation in Life) के रूप में काम करती हैं लेकिन प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्रों को दूसरों से नहीं, बल्कि खुद से प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए। छात्रों को परीक्षा हॉल का तनाव दूर करने का मंत्र(Competition and Challenges Motivation in Life) देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जितना संभव हो उत्तर लिखने का अभ्यास करें।

प्रधानमंत्री ने परीक्षा पे चर्चा (पीपीसी) के 7वें संस्करण के दौरान नई दिल्ली के भारत मंडपम(Bharat Mandapam) में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत की। मोदी ने माता-पिता को अपने बच्चे के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड न मानने की सलाह को दोहराया और सुझाव दिया कि छात्रों की चुनौतियों का समाधान अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षकों को भी सामूहिक रूप से करना चाहिए।

तीन प्रकार के तनाव
प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों पर तनाव तीन प्रकार का होता है – साथियों के दबाव से प्रेरित, माता-पिता द्वारा और स्वयं से प्रेरित। उन्होंने कहा, “कभी-कभी बच्चे खुद पर दबाव ले लेते हैं कि वे अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। मेरा सुझाव है कि आपको तैयारी के दौरान छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए और धीरे-धीरे अपने प्रदर्शन में सुधार करना चाहिए, इस तरह आप परीक्षा से पहले पूरी तरह से तैयार हो जाएंगे।”

शिक्षकों की भूमिका पर डाला प्रकाश
प्रधानमंत्री ने छात्रों पर बाहरी कारकों के अतिरिक्त दबाव के प्रभाव को कम करने में शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने खुद को दबाव से निपटने में सक्षम बनाने और जीवन के एक हिस्से के रूप में इसके लिए तैयारी करने का सुझाव दिया। उन्होंने तनाव के स्तर का आकलन करने और इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर आगे बढ़ने का भी सुझाव दिया ताकि छात्र की क्षमता इससे प्रभावित न हो। मोदी ने छात्रों, परिवारों और शिक्षकों से एक व्यवस्थित सिद्धांत को लागू करने की बजाय प्रक्रिया को विकसित करते हुए सामूहिक रूप से बाहरी तनाव के मुद्दे को संबोधित करने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि छात्रों के परिवारों को उनमें से प्रत्येक के लिए काम करने वाले विभिन्न तरीकों पर चर्चा करनी चाहिए।

Mathura Krishna Birthplace के सर्वे पर फिलहाल रोक बरकरार, इस महीने होगी अगली सुनवाई

प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिएः पीएम
साथियों के दबाव और दोस्तों के बीच प्रतिस्पर्धा के मुद्दे को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि अक्सर अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा के बीज पारिवारिक स्थितियों में बोए जाते हैं, जिससे भाई-बहनों के बीच विकृत प्रतिस्पर्धा पैदा होती है। मोदी ने अभिभावकों से कहा कि वे बच्चों के बीच तुलना से बचें। प्रधानमंत्री ने एक वीडियो का उदाहरण दिया, जहां बच्चे स्वस्थ तरीके से प्रतिस्पर्धा करते हुए एक-दूसरे की मदद करने को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने अभिभावकों से भी कहा कि वे अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से न करें। प्रधानमंत्री ने उनसे यह भी कहा कि वे अपने बच्चों की उपलब्धि को अपना विजिटिंग कार्ड न बनाएं। मोदी ने छात्रों से अपने दोस्तों की सफलता पर खुशी मनाने को कहा। प्रधानमंत्री ने कहा, ”दोस्ती कोई लेन-देन वाली भावना नहीं है।”

शिक्षकों की जिम्मेदारी
छात्रों को प्रेरित करने में शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि संगीत में उन छात्रों के तनाव को दूर करने की क्षमता है, जो न केवल एक कक्षा के बल्कि पूरे स्कूल के हैं। मोदी ने कक्षा के पहले दिन से लेकर परीक्षा के समय तक छात्र-शिक्षक सहयोग को धीरे-धीरे बढ़ाने पर जोर दिया और कहा कि इससे परीक्षा के दौरान तनाव पूरी तरह खत्म हो जाएगा। उन्होंने शिक्षकों से यह भी आग्रह किया कि वे पढ़ाए गए विषयों के आधार पर छात्रों से जुड़ने की बजाय उनके लिए अधिक सुलभ बनें। उन्होंने परिवारों के साथ व्यक्तिगत जुड़ाव विकसित करने और उनसे पहले की उपलब्धियों के लिए छात्रों की सराहना करने का भी सुझाव दिया। मोदी ने कहा, “शिक्षक नौकरी की भूमिका में नहीं हैं बल्कि वे छात्रों के जीवन को संवारने की जिम्मेदारी निभाते हैं।”

गलतियों से बचने पर दिया जोर
परीक्षा के तनाव से निपटने के बारे में पूछा गये प्रश्नों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने अभिभावकों के अति उत्साह या छात्रों की अति ईमानदारी के कारण होने वाली गलतियों से बचने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि वे परीक्षा के दिन को नए कपड़ों, रीति-रिवाजों या स्टेशनरी के नाम पर बढ़ा-चढ़ाकर पेश न करें। उन्होंने छात्रों से अंतिम क्षण तक तैयारी न करने और शांत मानसिकता के साथ परीक्षा देने और किसी भी बाहरी विनाश से बचने के लिए कहा, जो अवांछित तनाव का कारण बन सकता है। प्रधानमंत्री ने उन्हें अंतिम समय में घबराहट से बचने के लिए प्रश्न पत्र पढ़ने और समय आवंटन के साथ योजना बनाने की सलाह दी। प्रधानमंत्री ने छात्रों को याद दिलाया कि अधिकांश परीक्षाएं अभी भी लिखित होती हैं और कंप्यूटर और फोन के कारण लिखने की आदत कम हो रही है। प्रधानमंत्री ने उनसे लिखने की आदत बनाए रखने को कहा। उन्होंने उनसे अपने पढ़ने व पढ़ने के समय का 50 प्रतिशत लिखने में समर्पित करने को कहा। उन्होंने कहा कि जब आप कुछ लिखते हैं तभी आप उसे सही मायने में समझते हैं। उन्होंने उनसे अन्य छात्रों की गति से न घबराने को कहा।

संतुलन जरुरी
परीक्षा की तैयारी और स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने के बीच संतुलन बनाने का मुद्दा उठाते हुए छात्रों ने प्रधानमंत्री से व्यायाम के साथ-साथ पढ़ाई के प्रबंधन के बारे में पूछा। प्रधानमंत्री ने शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल की आवश्यकता को दर्शाने के लिए मोबाइल फोन रिचार्ज करने की आवश्यकता का उल्लेख किया। उन्होंने संतुलित जीवनशैली बनाए रखने और हर चीज की अति से बचने को कहा। मोदी ने कहा, “स्वस्थ शरीर स्वस्थ दिमाग के लिए महत्वपूर्ण है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने निजी जीवन में भी बिस्तर पर जाने के 30 सेकंड के भीतर गहरी नींद में जाने की व्यवस्था बना रखी है। उन्होंने कहा, “जागते समय पूरी तरह जागना और सोते समय गहरी नींद, एक संतुलन है, जिसे हासिल किया जा सकता है।” पोषण के बारे में प्रधानमंत्री ने संतुलित आहार पर जोर दिया। उन्होंने फिटनेस के लिए नियमित व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों के महत्व पर भी जोर दिया।

भ्रम और अनिर्णय से बचने का सुझाव
प्रधानमंत्री ने करियर चुनने के मामले में स्पष्टता प्राप्त करने और भ्रम और अनिर्णय से बचने का सुझाव दिया। स्वच्छता और इसके पीछे प्रधानमंत्री के संकल्प का उदाहरण देते हुए मोदी ने रेखांकित किया कि ‘स्वच्छता’ देश में प्राथमिकता वाला क्षेत्र बनता जा रहा है। उन्होंने बताया कि कला और संस्कृति क्षेत्र में भारत का बाजार पिछले 10 वर्षों में 250 गुना बढ़ गया है। मोदी ने एक रेस्तरां में खाना ऑर्डर करने का उदाहरण देते हुए कहा, “भ्रम को खत्म करने के लिए हमें निर्णायक होना चाहिए”, जहां किसी को यह तय करना होता है कि क्या खाना है। उन्होंने लिये जाने वाले निर्णयों की सकारात्मकता और नकारात्मकता का मूल्यांकन करने का भी सुझाव दिया।

आत्म-विश्लेषण की आवश्यकता
प्रधानमंत्री ने परिवारों में विश्वास की कमी और माता-पिता और शिक्षकों से इस गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यह कमी अचानक नहीं है बल्कि एक लंबी प्रक्रिया का परिणाम है और इसके लिए सभी के आचरण के गहन आत्म-विश्लेषण की आवश्यकता है, चाहे वह शिक्षक हों, माता-पिता हों या छात्र हों। उन्होंने कहा कि ईमानदार संचार विश्वास की कमी की संभावना को कम कर सकता है। इसी तरह माता-पिता को भी अपने बच्चों पर संदेह की बजाय विश्वास जताना चाहिए। विश्वास की कमी से बनी दूरी बच्चों को अवसाद में धकेल सकती है। प्रधानमंत्री ने शिक्षकों से छात्रों के साथ संवाद के रास्ते खुले रखने और पक्षपात से बचने को कहा।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.